छात्र-छात्राओं के लिए वरदान साबित होगी नयी शिक्षा नीति: डॉ संजय जायसवाल

पटना:  नयी शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इससे देश में एक नयी क्रांति का सूत्रपात होने की बात कही. उन्होंने कहा “ नयी शिक्षा नीति को लागू कर के केंद्र सरकार ने भारत की शिक्षा में दशकों से हो रहे बदलाव की माँगों को पूरा किया है. लंबे समय वामपंथियों के बनाए ढर्रे पर देश की शिक्षा व्यवस्था धक्के खा रही थीजो न तो नए युग के हिसाब से बच्चों को योग्य बना पाने और  न ही उन्हें अपने देश एवं संस्कृति का महत्व समझा पाने में सक्षम थी. लेकिन नई शिक्षा नीति में छात्रों, शिक्षकों के हितों का पूरा ध्यान रखते हुए, पाठ्यक्रमों की विसंगतियों को दूर करने का पूरा प्रयास किया गया है.”

डॉ जायसवाल ने कहा “नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा. स्कूल छोड़ चुके करीब 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी. बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 533का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा. इसके अलावा शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाने की बात भी कही गयी है.”

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा “नई शिक्षा नीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मल्टिपल एंट्री एंड एग्जिट की सुविधा है. इसके अनुसारयदि साल कोई कोर्स करने के बाद किसी कारण से यदि छात्र आगे नहीं पढ़ पाता है तो वो सिस्टम से अलग होने से बच जाएगा. नई नीति के तहत एक साल के बाद सर्टिफिकेटदो साल के बाद डिप्लोमा तीन या चार साल के बाद डिग्रीयानी प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के क्रेडिट जुड़ते जाएँगे। यानीउसे एकेडमिक क्रेडिट मिलेंगे. ऐसे में छात्रों को अपना कोर्स पहले साल से ही शुरू नहीं करना होगा. कलासंगीतशिल्पखेलयोगसामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इन्हें सहायक पाठ्यक्रम या फिरअतिरिक्त पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा. इसके अलावाइस नीति में पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश भी की गई है. आने वाले समय में यह बदलाव छात्र-छात्राओं के भविष्य के लिए वरदान साबित होने वाले हैं.”

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