जनता के अपने राष्ट्रपति थे डॉ कलाम: संजय जायसवाल
Date posted: 28 July 2021

पटना: पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने उन्हें जनता का राष्ट्रपति करार दिया. उन्होंने कहा कि मिसाइल मैन के नाम से विख्यात पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम देश के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक थे जिन्होंने अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण देश को समर्पित कर दिया था. उनके व्यक्तित्व की विशालता इतनी अधिक थी कि उसे शब्दों में बांध पाना नामुमकिन है. देश को परमाणु शक्ति संपन्न और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने में उनका योगदान अनंत काल तक याद किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल टेक्नोलॉजी पर कलाम साहब ने खूब काम किया था. जिस समय दुनिया के ताकतवर देश अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत जैसे देश के साथ साझा नहीं कर रहे थे, उस समय कलाम साहब की अगुआई में ही भारत ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की पृथ्वी मिसाइल, जमीन से हवा में काम करने वाली त्रिशूल मिसाइल, टैंक भेदी नाग जैसी स्वदेशी मिसाइलों को बनाकर दुनियाभर में भारत का सिक्का जमवाया. इसके अतिरिक्त उन्हीं के निर्देशन में भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएवी-3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह रोहिणी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया.
डॉ जायसवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कलाम साहब की जोड़ी सबसे बेहतर जमी. 1998 में अटल जी की सरकार बनने के समय डॉ कलाम DRDO के हेड बन चुके थे. अटल जी ने उन्हें अपना वैज्ञानिक सलाहकार बनाया और ठंडे बस्ते में पड़े परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की जिम्मेवारी दी. बाद में पूरे विश्व ने देखा कि कैसे इन दो दिग्गज राष्ट्रवादियों के सामने अमेरिका-पाकिस्तान की सारी ख़ुफ़िया तैयारी और इंतजाम बेकार पड़ गये और एक परमाणु शक्ति संपन्न देश के तौर पर भारत की पताका पूरी दुनिया में लहराने लगी. अटल जी उन्हें मंत्री बनाने की कोशिश भी की थी जिसे उन्होंने अपने मिसाइल कार्यक्रमों का हवाला देते हुए विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया था. बाद में अटल सरकार ने उनका नाम राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया जिसके बाद देश को अपना पहला गैर राजनीतिक राष्ट्रपति मिल पाया.
कांग्रेस पर बरसते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि पहली बार राष्ट्रपति बनते समय उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस को मन-मसोस कर उनका समर्थन करना पड़ा था. लेकिन अपनी सरकार आने पर उन्होंने कलाम साहब के प्रति अपना गुस्सा निकालते हुए, उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था. कलाम साहब ने कहा था कि अगर सब समर्थन करेंगे तभी वह दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर विचार करेंगे, इसीलिए कांग्रेस और वाम दलों द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने पर उन्होंने अपना वादा निभाते हुए अपना नाम वापस ले लिया. अपने इस कर्म ने कांग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया था कि राष्ट्र से प्रेम करने वाले किसी व्यक्ति के साथ कांग्रेस खड़ी नहीं रह सकती. बहरहाल कलाम साहब की महानता कांग्रेस के समर्थन की मोहताज नहीं है. उनकी सेवा और त्याग को देश हमेशा याद रखेगा.
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