अब्दुल कय्यूम अंसारी को मिले भारत रत्न: संजय गुर्जर
Date posted: 5 March 2022
नोएडा: पीस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व भारत बचाओ सविधान बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय गुर्जर ने पत्रकारों को संम्बोधित करते हुये कहा कि महान राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानी बाबा-ए-कौम से प्रसिद्ध अब्दुल कय्यूम अंसारी को भारत रत्न की उपाधि से नवाजे जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि भारत बचाओ सविंधान बचाओ आंदोलन ये मांग करता है कि हमारी मांग पूरी नही होने तक मांग जारी रहेगी। आज देश उन्हें याद कर रहा है।बिहार के डेहरी ऑन सोन में 1जुलाई 1905में जन्म लेने वाली इस शख्सियत को सम्मान मिलना बहुत जरूरी है।अब्दुल कय्यूम अंसारी पहले मुस्लिम नेता हैं, जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के टू नेशन थ्योरी का का डटकर विरोध किया था।
गांधी और उनकी टीम ने भारत को विभाजित न करने की बात कही थी। उसके बाद देश में कई मुस्लिम नेताओं ने जिन्ना के सिद्धांत की मुखालफत की।भारत की आजादी के लिए महज 16 साल की उम्र में जेल गए।अब्दुल कय्यूम अंसारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं।छात्र जीवन से ही उन्होंने मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत का विरोध करना आरम्भ कर दिया था।उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा सासाराम व डेहरी ऑन सोन के स्कूलों से ग्रहण की। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।हालांकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण उनकी शिक्षा बाधित होती रही. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आह्वान पर उन्होंने सरकारी स्कूलों का बहिष्कार किया था।
16 साल की उम्र में जेल
युवा नेता के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ कर 1928में कोलकाता में साइमन कमीशन के खिलाफ छात्र आंदोलन में हिस्सा लिया.अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग और खिलाफत आंदोलन में शामिल लेने के कारण 16वर्ष की उम्र में गिरफ्तार कर उन्हें जेल डाल दिया गया था।
उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर बिहार से असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया।1940में उन्होंने मुस्लिम लीग की अलगाववादी नीतियों व पाकिस्तान की मांग का कड़ा विरोध किया था. 1942में उन्होंने गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
1947में भारत के बंटवारे की शिद्दत से मुखालिफत करते हुए मुसलमानों से अपील की कि अपना वतन भारत छोड़ कर पाकिस्तान न जाएं।वह भारत के हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे।
मोमिन कॉन्फ्रेंस की स्थापना
अब्दुल कय्यूम अंसारी ने समाज के हाशिए पर खड़े लोगों और मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिक राजनीति के विरोध स्वरूप 1937-38में मोमिन कान्फ्रेंन्स की स्थापना की।जिसने कांग्रेस के साथ देश की आजादी के अन्दोलन में महत्वपर्ण भूमिका निभाई।
मोमिन कांफ्रेंस’ नाम से अलग सियासी पार्टी बना कर 1946में बिहार प्रोविंशियल असेंबली में मुस्लिम लीग के खिलाफ अब्दुल कय्यूम अंसारी सहित छह मोमिन कांफ्रेंस के उम्मीदवार चुनाव जीत कर आए।
श्री बाबू के नेतृत्व में सरकार बनी तो कय्यूम अंसारी भी काबीना मंत्री बने. वे17वर्षों तक बिहार में मंत्री रहे। बाद में मोमिन कान्फ्रेंस को एक राजनीतिक संस्था के रूप में भंग कर दिया।इसे एक सामाजिक और आर्थिक संगठन बना दिया।उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मोमिन समुदाय के उत्थान के लिए काम किया।
2005 में डाक टिकट जारी हुआ
1953में उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लासेस कमीशन का गठन करवाया,जो वाकई एक बड़ा कदम था.उन्होंने हमेशा देश के कमजोर वर्गों के उत्थान केलिए काम किया।वह बुनकर समुदायों के आर्थिक कल्याण और देश के कपड़ा उद्योग में हथकरघा के विकास के लिए भी प्रयासरत रहे।
आज ही के दिन 2005में भारतीय डाक सेवा द्वारा उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया.18जनवरी 1973को इस महान स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया।अब्दुल कय्यूम अंसारी एक कुशल पत्रकार, लेखक और कवि भी थे।
वह पूर्ववर्ती दिनों में उर्दू साप्ताहिक “अल-इस्लाह” (सुधार) और एक उर्दू मासिक “मसावात” (समानता) के संपादक थे।जिनके द्वारा उन्होंने सामाजिक सुधार आंदोलन चलाए. उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विषयों का काफी ज्ञान था।उन्हें राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
समुदाय का सरकार से गिला
अंसारी महापंचायत के बिहार संयोजक वसीम नैयर अंसारी का गिला है कि जिस शख्सियत ने देश के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दीे। जिसने जिन्ना के टू-नेशन फार्मूले का डटकर विरोध किया।उसके नाम पर मात्र एक डाक टिकट भारत सरकार द्वारा जारी करना गया।
उनके साथ ये बड़ी नाइंसाफी है।वह बताते हैं कि जल्द ही उनके नाम पर गया में एक कॉलेज की स्थापना की जाएगी।भूमि खरीद ली गई है.जहानाबाद के सामाजिक -राजनीतिक कार्यकर्ता रजी अहमद कहते हैं कि अब्दुल क्य्यूम अंसारी गंगा-जमुनी तहजीब को कायम करने के लिए बड़े नेता थे।
उनके नाम से बिहार और उत्तर प्रदेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए।अब्दुल कय्यूम अंसारी जनता के नेता थे। वो विशेष रूप से वंचित और गरीबों से सबसे करीब थे। मृत्यु तक कांग्रेस के सच्चे और वफादार नेताओं में से एक थे। बिहार के लगभग सभी मुख्यमंत्रियों के मंत्रिमंडल में वो कैबिनेट मंत्री रहे थे।
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