जिले के सभी टीबी रोगियों से विभाग के कर्मचारी निरंतर सम्पर्क बना रहे: डा. शिरीश जैन
Date posted: 18 May 2022
नोएडा: हेलो.. मैं जिला क्षय रोग विभाग से बोल रहा हूं, आप रोशन लाल (काल्पनिक नाम) बोल रहे हैं। आप टीबी की दवा नियमित ले रहे हैं, किसी प्रकार की कोई दिक्कत, दवा से आराम आया है… नियमित जांच करा रहे हैं.. कुछ इस तरह के सवाल किये जाते हैं क्षय रोगियों से जिनका उपचार चल रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शिरीश जैन ने बताया- यह टीबी मरीजों के फालोअप की प्रक्रिया है, इसके तहत जिले के सभी टीबी रोगियों से विभाग के कर्मचारी निरंतर सम्पर्क रख कर उनका हाल जानते हैं और यदि किसी भी प्रकार की दिक्कत के बारे में पता चलता है तो उसका समाधान करते हैं। उन्होंने बताया इस काम को जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) अम्बुज कुमार पांडेय, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) बृजपाल, पीपीटी कोऑर्डिनेटर पवन कुमार भाटी, पीएमडीटी कोऑर्डिनेटर लल्लन यादव बखूबी कर रहे हैं।
डा. जैन बताते हैं कि विभाग द्वारा यह कवायद इसलिए की जाती है ताकि कोई भी टीबी मरीज बीच में दवा न छोड़े। उन्होंने कहा किसी भी हाल में चिकित्सक की राय के बिना टीबी की दवा खाना नहीं छोड़नी चाहिये। कई बार मरीज उपचार शुरू होने पर थोड़ा आराम मिलते ही दवा खाना बंद कर देता है, जिससे मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी होने का खतरा पैदा हो जाता है। अधिकतर मामलों में अच्छे खानपान और नियमित दवा खाने से छह माह में ही टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है।
जिला क्षयरोग अधिकारी ने जनपद के चिकित्सकों से अपील की है कि वह अपनी ओपीडी के दौरान मरीजों की स्क्रीनिंग क्षय रोग की पहचान के लिए भी करते रहें ताकि रोगी को प्रांरभिक अवस्था में पहचान कर उसका उपचार शुरू कराया जा सके।
उन्होंने कहा- संभावित क्षय रोगियों की जांच के लिए क्षय रोग विभाग सदैव तत्पर है। क्षय रोग उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्षय रोगियों की जल्दी पहचान जरूरी है। पहचान होने में देरी होने पर उपचार देर से शुरू होता है और इस बीच वह अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमित कर देता रहता है। टीबी के जीवाणु की चेन तोड़ने के लिए जरूरी है कि रोगी को जल्दी से जल्दी उपचार मिल सके। उपचार शुरू होने के दो माह बाद रोगी से संक्रमण फैलने की आशंका न के बराबर रह जाती है।
डा. जैन ने बताया- जनपद को क्षय रोग मुक्त बनाने की दिशा में सहयोग के लिए कई संगठन आगे आये हैं। अलग-अलग संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अब तक 1669 क्षय रोगियों को गोद लिया है। इन मरीजों के पोषण से लेकर देखरेख की जिम्मेदारी गोद लेने वाले उठा रहे हैं। सभी मरीजों को दवा स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध कराता है।
निक्षय पोषण योजना
सरकार की ओर से टीबी मरीजों के पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना चलायी जा रही है। इस योजना के तहत प्रत्येक टीबी मरीज को उपचार चलने तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह दिये जाते हैं। यह रकम मरीज के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है। डा. जैन ने कहा- अच्छे पोषण और नियमित दवा खाने से टीबी का रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
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