आदेश गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड घोटाले की स्वतंत्र एजेन्सी से जांच की मांग की
Date posted: 28 July 2021
नई दिल्ली: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड को केजरीवाल सरकार की सबसे भ्रष्ट विभाग बताते हुए इसके लेखों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से कराने की मांग की है।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) को लिखे एक पत्र में गुप्ता ने कहा कि साल 2012-13 से लेकर अब तक जलबोर्ड की कोई बैलेंस शीट तैयार नहीं हुई। इतना ही नहीं साल 2012 से 2017-2018 के बीच बजट प्रावधानों से अधिक खर्च का कोई कारण नहीं बताया गया और न ही लेखा-जोखा दिया गया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से जलबोर्ड की किसी भी बैलेंस शीट का ऑडिट नहीं हुआ और बोर्ड भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा ‘अड्डा’ बन चुका है।
उन्होंने सतर्कता आयोग से कहा कि जलबोर्ड ने 10 वर्षों में कोई बैलेंस शीट तैयार क्यों नहीं की और अगर की तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि लोगों को पता चलना चाहिए कि फायदें में चलने वाला जलबोर्ड किन कारणों से कंगाली की कगार तक जा पहुंचा है। बोर्ड ने बिना कोई कारण बताए बजट से बाहर जाकर जो लाखों रुपये खर्च किए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए और इसके लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई होनी चाहिए।
श्री गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड के काम करने के तरीकों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए दावा किया कि इसके काम करने के तरीके तो गलत है ही साथ ही टेंडर जारी या रद्द करने के पीछे कोई कारण भी नहीं बताया जाता। उन्होंने द्वारका में प्रस्तावित जल शोधन संयंत्र के एक टेंडर का हवाला देते हुए कहा कि टेंडर गत वर्ष जुलाई को बोर्ड की बैठक में रद्द कर दिया गया और बाद में इसी टेंडर को जुलाई वर्ष 2021 में वर्क ऑर्डर दे दिया गया। उन्होंने कहा कि 280 करोड़ रुपये से द्वारका में प्रस्तावित जल शोधन संयंत्र को तैयार करने के इस टेंडर को न तो रद्द करते समय और न ही पुनः स्वीकार करते समय कोई कारण दिए गए।
आदेश गुप्ता ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजे पत्र में लिखा है कि दिल्ली जल बोर्ड में किसी भी स्तर पर कोई जवाबदेही नहीं है। इसका घाटा लगातार बढ़ रहा है, इतना ही नहीं जलबोर्ड ने जो ऋण लिया है, उसका एक पैसा भी चुकाया नहीं और इसका घाटा और ऋण की देनदारी कर 57 हज़ार करोड़ तक पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जलबोर्ड के 1.79 लाख कनेक्शन बिना मीटर के थे। इसके अलावा 4 लाख से ज्यादा मीटर बंद या खराब थे। इससे बोर्ड को राजस्व की भारी हानि हो रही है, लेकिन इसे दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
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