किसानों के नाम पर अपना एजेंडा चला रही हैं देश विरोधी ताकतें: राजीव रंजन
Date posted: 14 December 2020

पटना: किसान आंदोलन देशविरोधी तत्वों के घुसपैठ करने का दावा करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा “ पिछले छह वर्षों में वर्तमान केंद्र सरकार ने किसानों के हित में जितने काम किए हैं, कांग्रेस अपने दशकों के शासनकाल में उसका चौथाई हिस्सा भी नहीं कर पायी थी. यही वजह है कि किसानों के बीच वर्तमान सरकार की जबर्दस्त पैठ बन चुकी है. मोदी सरकार को किसानों के मिल रहे इस अपार समर्थन से हताश और निराश विपक्ष अब झूठ और दुष्प्रचार को अपना अंतिम अस्त्र बना रहा है. किसानों के रूप अपने कार्यकर्ताओं को घुसा कर यह पार्टियाँ ऐतिहासिक नए कृषि कानूनों को जबर्दस्ती भ्रम फैला रही हैं.
अभी तक सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. पहली मीटिंग में एमएसपी को मुद्दा बताया गया, लेकिन सरकार द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद दूसरी मीटिंग में यह दुसरे मुद्दे उठाने लगे. सरकार अभी भी इन कानूनों में आवश्यक संशोधन का भरोसा दे रही है, लेकिन इसके बावजूद हंगामा हर रोज बढ़ता जा रहा है. दरअसल मामला अब किसानों का रहा ही नहीं. अगर किसान सरकार से असंतुष्ट होते तो धान खरीद में 22% की बढ़ोतरी हो ही नही पाती. वास्तव में विपक्षी दल और देश विरोधी ताकतें किसानों को बहकाने का कोई मौका नहीं चूक रहीं. यह ताकतें इस आंदोलन की आड़ में अपना हित साधने में लगी है. यही कारण है कि धारा 370, नागरिकता संशोधन कानून हटाने के साथ-साथ अब आंदोलन में देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों की रिहाई की मांग भी उठने लगी है.”
उन्होंने कहा “ भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और आनंद तेलतुंबडे जैसे लोगों की रिहाई की मांग से संबंधित पोस्टर-बैनर नजर आए. गौरतलब है कि इनमें से कई लोगों पर UAPA के तहत केस दर्ज है. इससे साफ़ प्रतीत होता है कि किसानों को गुमराह कर जहां सियासी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, वहीं टुकड़े-टुकड़े गैंग भी अपने एजेंडे को लागू करने में लग चुका है.जिस तरह से इस प्रदर्शन में देश विरोधी ताकतों की भूमिका बढ़ती जा रही है, उससे धीरे-धीरे यह प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित लगने से ज्यादा खतरे की घंटी नजर आने लगा है, जिसे शाहीन बाग के दौरान नजरअंदाज किया जाता रहा और अंत में उसका भीषण रूप उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के रूप में देखने को मिला. इसी तरह किसानों की आड़ में टुकड़े टुकड़े गैंग द्वारा किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है.”
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