अवैध वसूली मामले में राजकीय इंटर कॉलिज के प्रधानाचार्य के वेतन पर लगी रोक
Date posted: 7 December 2021
नोएडा: अवैध वसूली के मामले में चल रही जांच में सख्त कारवाई करते हुये जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने नोएडा के सैक्टर-12 स्थित राजकीय इंटर कॉलिज के प्रधानाचार्य एसएस वरुण के वेतन पर रोक लगा दी है।जिसके बाद इस प्रकरण से जुड़े लोगों में हड़कम्प मचा हुआ है।बताते चले कि प्रधानाचार्य के खिलाफ अवैध वसूली के मामले की जांच करीब दो साल से चल रही थी।विभाग द्वारा बार बार नोटिस और चेतावनी जारी करने के बाद भी जांच में सहयोग ना देने व विभाग को गुमराह करने के चलते उनपर यह कारवाई हुयी है।
आपको बता दे कि नोएडा के सैक्टर-12 स्थित राजकीय इंटर कॉलिज में पढ़ने वाले बच्चों ने दो वर्ष पूर्व प्रधानाचार्य एसएस वरुण पर विद्यार्थियों से तीन हजार रुपये लिये जाने का आरोप लगाया था जोकि निर्धारित शुल्क से काफी अधिक था।इस विषय को जनहित में कार्य करने वाली संस्था प्रवासी भलाई संस्था ने प्रमुखता से उठाते हुये शासन प्रशासन को अवगत कराया।शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुये इस प्रकरण में एक जांच कमेठी गठित की थी। जांच कमेठी के बार बार नोटिस देने के बाद भी प्रधानाचार्य जांच अधिकारी के समक्ष उपलब्ध नही हुये।और तो और इस विषय में विभाग को गुमराह करने का प्रयास किया।राजकीय इंटर कॉलिज के प्रधानाचार्य के द्वारा जांच समिति का सहयोग ना करने व इस प्रकरण में जवाब ना देने पर ही जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने उनके वेतन पर रोक लगा दी है।
बताया जा रहा है कि जब तक प्रधानाचार्य जांच समिति के समक्ष पहुँच कर अपने बयान नही दर्ज कराते तब तक उनका वेतन नही मिलेगा।इस प्रकरण में जब हमने शिकायत कर्ता योगेश राणा से बात की तो उन्होंनें बताया कि गरीब निशाहय बच्चों का शोषण करने वाले व भ्रष्टाचार संलिप्त ऐसे प्रधानाचार्य की समाज में कोई आवश्यकता नहीं है।ऐसे प्रधानाचार्य की सेवा समाप्त कर देनी चाहिए। हम मा. मुख्यमंत्री अनुरोध करते है कि ऐसे लोगों को जेल भेज कर भष्ट्राचार पर अंकुश लगाने का कार्य करे।जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने बताया कि प्रधानाचार्य पर निर्धारित शुल्क से अधिक वसूलने का आरोप है।बार बार जवाब मांगने के बाद भी सहयोग ना करने के बाद प्रधानाचार्य के वेतन पर रोक लगायी गयी है।इसी के चलते अभी जांच पूरी नही हो पायी है।वही सूत्रों की माने तो इस प्रकरण में उच्च स्तर की जांच करायी जा सकती है।
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