काली पट्टी बाँध सामाजिक संगठनों ने लोकतंत्र वापसी की रखी मांग 

नोएडा: जैसा की विदित है के नोएडा में लोकतंत्र की स्थापना एवं पंचायत प्रणाली की वापसी के लिए नोवरा समेत अन्य जागरूक संस्थाएं  प्रयासरत हैं , कोरोना काल में बाहर निकलकर पुलिस एवं प्रशाशन समेत सामाजिक संगठनों के सदस्यों  की जान जोखिम में नहीं डालना चाहते , इसलिए नोवरा द्वारा डिजिटल धरना प्रदर्शन का एक कार्यक्रम पहले भी आयोजित किया जा चुका है , जिसकी गूँज सत्ता के गलियारों में ऊपर तक पहुंची, आज भी ऐसा ही अनूठा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें नोवरा समेत ग्रामीण क्षेत्र की नामी संस्थाओं ने हिस्सा लिया जिसमें ग्राम प्रधान संगठन , मोरना विकास समिति एवं अट्टा ग्राम समिति समेत क्षेत्र के अन्य गणमान्य लोगों ने   हिस्सा लिया।

प्रधान संगठन की विमलेश शर्मा ने की अध्यक्षता

पूर्व प्रधान संगठन की अध्यक्षा विमलेश शर्मा को इस मीटिंग का अध्यक्ष घोषित किया गया , उन्होंने आने उद्बोधन  में कहा के नॉएडा द्वारा लगातार क्षेत्र में ग्रामीण जनता के साथ भेदभाव की नीति को अपनाया जा रहा है , साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत व्यवस्स्था समाप्त करके सरकारों ने ग्रामीणों से अपने अधिकारों के लिए लड़ने की संवैधानिक शक्ति भी छीन ली है  , इस बाबत यह विरोध प्रदर्शन  सर्वथा उचित एवं आवश्यक है , उन्होंने नोवरा द्वारा इस तरह के प्रयासों को सराहा और इसमें संगठन द्वारा साथ देने की बात कही.

नोवरा अध्यक्ष रंजन तोमर ने साधा निशाना

नोवरा अध्यक्ष रंजन तोमर ने पूर्ववत  सरकारों से लेकर आज की सरकार द्वारा भी प्राधिकरण की शक्तियों में कोई बदलाव न करने , बोर्ड मीटिंग में किसी जन प्रतिनिधि तक के न बैठ पाने की बात मंच से रखी , इसके साथ ही उन्होंने प्राधिकरण को अंग्रेज़ों के बराबर आंकते हुए कहा के जिस प्रकार अंग्रेज़ों ने बिना किसी पारदर्शिता एवं जवाबदेही से हम पर राज किया उसी प्रकार प्राधिकरण नॉएडा वासियों पर राज करता है और उसे हर बदलती सरकार का समर्थन प्राप्त है , जिस प्रकार शेर चीतों का अभयारण्य होता है जहाँ वह स्वतः विचरते हैं उसी प्रकार देश के अधिकारीयों का यह क्षेत्र  अभयारण्य है जहाँ उन्हें किसी भी राजनीतिक रोक टोक के बिना लूटतंत्र की खुली छूट है।

ग्राम  विकास समिति , मोरना  ने उठाई मांग

मोरना विकास समिति के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता  राजकुमार मोरना ने ग्रामीण क्षेत्रों के साथ हो रहे भेदभाव और उनके साथ अधिकारीयों द्वारा किसी भी प्रकार की कोई मीटिंग आदि न करने का आरोप लगाया जिस कारण ग्रामीण अपनी समस्याओं को उन तक पंहुचा ही नहीं सकते जबकि शहर की आरडब्लूए के साथ प्राधिकरण अधिकारी लगातार मीटिंग करते रहते हैं ,ऐसे में ग्राम पंचायत बहाली अथवा नगर निगम ही एक विकल्प बचता है।

ग्राम विकार समिति अट्टा भी विरोध में शामिल

शहर के पुराने व्यावसायिक गाँव अट्टा की ग्राम समिति की तरफ से बोलते हुए विकास अवाना ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चुनी हुई व्यवस्था की मांग रखी जिसके छिन जाने से ग्रामीण बेहद पिछड़ते जा रहे हैं।  चाहे वह स्कूल कॉलेज में एडमिशन हो या फिर नौकरी उनके  साथ हर जगह भेदभाव है।

इस दौरान सभी ने काली पट्टी बाँध कर विरोध जताया एवं इस प्रकार से सम्मिलित रूप से धरने जारी रखने के लिए प्रतिबद्धता जताई। गौरतलब है के आज की राज्य सरकार कई बार इस क्षेत्र में निगम लाने की बात कह चुकी है लेकिन अभी तक  कोई भी ठोस कदम उनकी तरफ से भी देखने को नहीं मिला है।  इस दौरान नंगली , निठारी , सुल्तानपुर , गेझा , छलेरा , मोरना , अट्टा , बाजिदपुर ,चौड़ा आदि गाँवों के जन प्रतिनिधि उपस्थित थे। जिनमें अजय चौहान , पुनीत राणा , प्रवीण चौहान , प्रेमपाल चौहान , चेतन सिसोदिया, मनोज चौहान, अंकित अग्गरवाल, मनीष राणा आदि उपस्थित थे।

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