दाल एवं तिलहन उत्पादन की ठोस नीति बने: डॉ प्रेम कुमार

भाजपा नेता व बिहार विधानसभा में याचिका समिति के सभापति डॉ प्रेम कुमार ने कहा देश में दाल एवं तिलहन उत्पादन की ठोस नीति बनाने की जरूरत है। जिस तरह से हमने हरित क्रांति लाकर देश में अब रिकॉर्ड खाद्यान्न धान, गेहूं, मकई, गन्ना,का उत्पादन कर आत्मनिर्भर हुए हैं।

विश्व बाजार में निर्यात कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा अर्जित कर अर्थव्यवस्था को मजबूत प्रदान करते हैं। लेकिन दाल एवं तिलहन की पर्याप्त मात्रा में उत्पादन हमारे यहां नहीं होने से बाजार में दलहन, तिलहन का भाव बढ़ जाने से दाल और तेल की कीमतें तेजी से बढ़ जाती हैं । उपभोक्ता खास कर आम आदमी के जेब पर आर्थिक मार पड़ती है। वहीं दूसरी ओर सरकार को कीमतें कम करने के लिए दालों एवं तेल या तिलहन को विदेशों से आयात करना पड़ता है। इससे हमारे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार में कमी होती है। अतः केंद्र एवं राज्य सरकारों को मिलकर देश में दालों एवं तेल की खपत के अनुपात में किसानों को प्रोत्साहित कर चिन्हित रकवा में क्लस्टर बना कर दलहन एवं तिलहन का पर्याप्त उत्पादन कराने की योजना बनाने की जरूरत है ताकि भारत दलहन एवं तिलहन में भी आत्मनिर्भर हो सकें। महंगाई की मार आम जनता को झेलना ना पड़े। हमें विदेशों से आयात करने की नौबत ही ना आए।

जिससे हमारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा भंडार भी प्रभावित नहीं होगा।देश में कोरोना महामारी काल में भी कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के 10 प्रमुख देशों में भारत का स्थान रहा है। भारत की पहचान अब कृषि निर्यातक देश के रूप में है।नई कृषि दलहन-तिलहन नीति के तहत हमारे यहां किसान रिकॉर्ड दाल एवं तिलहन उत्पादन करेंगें तो आत्मनिर्भर भारत होगा। केंद्र सरकार ने खाने वाले तेल में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन -ऑयल पाम मिशन में ₹11000 करोड़ से अधिक निवेश की घोषणा की है। इसी तरह दलहन के लिए नीति बने जिसका लाभ किसान लेकर दलहन और तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन कर आयात के बदले निर्यात कर सकें।

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