लिंचिंग व नरसंहारों की जनक है कांग्रेस, पार्टी का इतिहास पढ़ें राहुल: जायसवाल
Date posted: 23 December 2021
पटना: लिंचिंग को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज उन्हें अपनी पार्टी का इतिहास पढ़ने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि विश्व में यदि कमज़ोर ज्ञान के साथ झूठ बोलने की कोई प्रतियोगिता हो तो यकीनन राहुल गांधी निर्विवादित रूप से उसके विजेता घोषित किये जाएंगे. झूठ से इनका प्रेम इतना अधिक है कि सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांग, पूरे देश के समक्ष बेईज्जत होने के बाद भी वह झूठ बोलना नहीं छोड़ते. लिंचिंग के बहाने केंद्र सरकार को घेरने की उनकी कोशिश भी उनकी इसी आदत का नतीजा है.
उन्होंने कहा कि राजनीति में दो दशक गुजारने के बाद भी राहुल को देश के इतिहास-भूगोल की रत्ती भर भी जानकारी नहीं हो पायी है, नहीं तो उन्हें ज्ञात होता कि कांग्रेस ही आजाद भारत में लिंचिंग और नरसंहार की जनक है.
राहुल को इतिहास का पाठ पढ़ाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लिंचिंग का विशेषज्ञ बन रहे राहुल को सबसे पहले 84 के सिख नरसंहार को याद करते हुए अपने पिता का बयान सुनना चाहिए. उससे भी यदि उन्हें ज्ञान न मिले तो उन्हें कमलनाथ, सज्जन कुमार, जगदीश टाईटलर जैसे अपने वफ़ादार नेताओं से पूछना चाहिए. यह नेता उन्हें बखूबी बतायेंगे कि बड़ा पेड़ गिरने पर उन्होंने कैसे हजारों निर्दोष सिखों के नीचे की जमीन को हिलाया था. वह उन्हें बतायेंगे कि कैसे उनकी शह पर सैंकड़ों महिलाओं का बलात्कार हुआ था, कैसे उनके घर जलाये गये थे और कैसे इन नेताओं को बड़े पद देकर इस जघन्य नरसंहार का इनाम दिया गया था.
डॉ जायसवाल ने कहा कि 2014 से पहले लिंचिंग से अनभिज्ञ राहुल जी को जानना चाहिए कि नेहरु जी के राज में ही 16 राज्यों में 243 दंगे हुए थे, वहीं इंदिरा जी के राज में देश के 15 राज्यों में 337 दंगे हुए थे. इन असम के नेली में तकरीबन 2600 अल्पसंख्यकों का हुआ नृशंस नरसंहार भी शामिल है. राजीव गांधी के समय में जहां 84 के सिख नरसंहार समेत 16 राज्यों में 291 दंगे हुए, वहीं सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के राज में देश 5921 दंगों का गवाह बना. इसके अतिरिक्त राजद-कांग्रेस राज में बिहार में रोजाना होने वाले नरसंहारों को कौन भूल सकता है.
उन्होंने कहा कि हिन्दू और हिंदुत्व के विशेषज्ञ बने राहुल जी को पहले कांग्रेस और कांग्रेसियत को समझना चाहिए. कांग्रेसियत का अर्थ ही दंगों और नरसंहार के सहारे जोड़-तोड़ कर के सत्ता में आना है. कांग्रेस एक मुखौटा है और कांग्रेसियत उसकी हकीकत.
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