पश्चिम बंगाल TMC के मनमानी से नहीं, संविधान से चलना चाहिए: डॉ. प्रेम कुमार

पटना: सीबीआई के अधिकारी आज पर्याप्त सबूतों, गवाहों के आधार पर नारदा स्ट्रिंग ऑपरेशन के आधार पर केस में सुब्रत मुखर्जी ,फिरहाद हकीम मंत्री, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दायर करने के लिए ले जाना चाह रही है। बंगाल की मुख्यमंत्री अपने हजारों समर्थकों को उकसा कर, सीबीआई दफ्तर का घेराव कर, लाठी ,पत्थर से हमला करवा रही है।

स्वयं ममता बनर्जी एक मुख्यमंत्री होकर सीबीआई कार्यालय में जाकर सीबीआई के पदाधिकारी के कार्यों में व्यवधान डाल रही है। यह अनुचित है या उचित? स्वयं संवैधानिक पद पर रहकर ,दूसरी संवैधानिक संस्थाओं के कामों में व्यवधान डालना ,आम जनता को उकसा कर, टीएमसी कार्यकर्ताओं को सड़क पर बुलाकर, कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ना। कोरोना गाइडलाइन के खिलाफ लोगों को जमा करवाना, पुलिस की निष्क्रियता, संवैधानिक संकट उत्पन्न करना ,एक मुख्यमंत्री के लिए कतई सही नहीं हो सकता है।

आप मुख्यमंत्री हैं ,मर्यादा में रहकर सीबीआई की कार्यवाही का कानूनी विरोध करें। कोर्ट जाएं, गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट से आदेश लाकर उसे रोक लगाएं। कोर्ट है, कानून है, शासन-प्रशासन है। आप चुनी हुई मुख्यमंत्री हैं, इसका मतलब यह कतई नहीं कि “आप ही कानून हैं” या “कानून से ऊपर हैं”। कानून के तहत सीबीआई कार्रवाई कर रही है। आप सीबीआई के खिलाफ कोर्ट में जाइए।

अच्छे वकील से कोर्ट में प्रोटेस्ट करें। अपने मंत्री विधायकों को निर्दोष साबित करिए, ताकि एक नजीर पेश हो। लेकिन यहां तो एक तरफा राज्य की जनता जो टीएमसी के खिलाफ है उन पर अत्याचार आप करवाती हैं वहीं दूसरी ओर सीबीआई कानून के तहत कार्रवाई करती है, तो उसे रोककर, टीएमसी कार्यकर्ता को भड़का कर, राज्य में कोरोना के पूर्ण लॉक डाउन के बाद भी हजारों समर्थकों के साथ निकल कर, आपदा की नियम की आप धज्जी उड़ा रही हैं। यहाँ तो आप फ्रांस के” 16वां लुई”, की तरह “तानाशाही” की बात कर रही हैं -आई एम स्टेट एंड माय वर्ड इज लॉ। क्या यह सही है? राज्य संविधान से चलेगा या टीएमसी की मनमानी से?

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