सुरक्षित है कोरोना वैक्सीन, अफवाहों पर नहीं दें ध्यान

कोरोना वैक्सीन को भारत में टीकाकरण के लिए कभी भी अनुमति मिल सकती है। सरकारी स्तर पर इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। हर जरूरतमंद तक इसे कैसे पहुंचाया जाएगा, इसकी कार्ययोजना पर सरकार काम कर रही है। इसी बीच कई तरह की अफवाहें कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही हैं। कई सोशल साइटस और व्हाटसप ग्रुप में ये अफवाहें जोरों से दम पकड रही है। इस संदर्भ में हमने कई विशेषज्ञों से बात की, उन्होंने इन बातों की सच्चाई हमें सिलसिलेवार तरीके से समझाई। इन जरूरी बातों को आप भी समझ लें।

जल्दबाजी में बनीं वैक्सीन, इसलिए सुरक्षित नहीं

यह बात सच है कि वैक्सीन बनने में वर्षों लगते हैं, लेकिन कोरोना वैक्सीन के लिए कोई शॉर्टकट नहीं लिया गया है। भारतीय चिकित्सा जगत से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही पहले वैक्सीन बनने में कई साल लगते थे। लेकिन, कोरोना मामले में सभी ने तत्परता दिखाईं। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने दिन-रात काम किया। तमाम एजेंसियों ने बेहतर समन्वय के साथ अपने-अपने कामों को किया। तभी वैक्सीन इतनी जल्दी बनी। जल्दी का मतलब यह नहीं कि किसी भी चरण को छोड़ा गया है, बल्कि हरेक पहलू पर बखूबी ध्यान दिया गया है।

वैक्सीन से हो जाएगा कोरोना

नहीं। वैज्ञानिक ऐसी किसी भी संभावना से इंकार करते हैं। वैक्सीन बनाने में जिस वायरस का इस्तेमाल होता है, वह वायरस मानव शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। यह केवल हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।

हम दशकों से पोलियो, खसरा, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीन का प्रयोग कर रहे हैं। जिससे अब तक करोड़ों बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा चुका है।

मिल जाएगा मास्क से छुटकारा

विशेषज्ञ कहते हैं कि फिलहाल सावधानी बरतनी होगी। वैक्सीन से हर्ड इम्युनिटी विकसित होगी और वायरस का प्रसार रुक जाएगा, परंतु इसके लिए देश की 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या का टीकाकरण करना होगा। इसमें महीनों लग सकते हैं। क्योंकि वैक्सीन अभी नई है, इसलिए हमें यह भी नहीं पता कि इम्युनिटी कितने वक्त के लिए मिलेगी और जिन्हें टीका लग चुका है, क्या वे खुद बीमार हुए बिना दूसरों को संक्रमण दे सकते हैं या नहीं। इसलिए कम से कम अभी के लिए तो मास्क पहनना अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।

चिप लगी होगी वैक्सीन में

यह एक अफवाह है। इस झूठे दावे की शुरुआत कुछ महीनों पहले ही हुई है, जब एक अमेरिकी कंपनी ने कहा था कि वह कोविड वैक्सीन के लिए पहले से भरी सीरिंज बनाएगी, जिनके लेबल्स में आरएफआईडी टैग्स लगे होंगे, ताकि उन्हें ट्रैक किया जा सके। यानी चिप वैक्सीन बॉक्स पर रहेगी न कि वैक्सीन में। वैसे भी लोगों को इंजेक्शन के जरिए माइक्रोचिप्स नहीं लगाई जा सकती है।

आपके डीएनए पर असर डालेगी वैक्सीन

यह वैज्ञानिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके महज एक अफवाह है।
असल में, कोरोना के कुछ वैक्सीन एमआरएनए तकनीक से बनाया जा रहा है। एमआरएनए यानी मेसेंजर राइबोन्यूक्लियक एसिड। इसे वैक्सीन के विकास का सबसे आधुनिक तरीका माना जाता है। इसमें शरीर के आरएनए और डीएनए का इस्तेमाल कर इम्युन प्रोटीन विकसित किया जाता है। यह वायरस के संक्रमण को ब्लॉक करने का काम करता है और शरीर की कोशिकाओं को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि एमआरएनए तकनीक वैक्सीन बनाने की विधि को गति प्रदान करेगा।

वैक्सीन से मिलेगी जीवनभर की सुरक्षा

अभी इसके बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हमें इतना पता है कि टीका लगने के कुछ हफ्तों बाद इम्युनिटी बिल्ड-अप होना शुरू होती है। वैक्सीन आपको गंभीर कोरोना संक्रमण होने की संभावना को काफी हद तक कम कर देगी।

बस, एक शॉट ही काफी

कोरोना वैक्सीन दो डोज में दी जाएगी। पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज लगना है। विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे डोज के सात से दस दिनों के बाद ही वैक्सीन अपना प्रभाव पूर्ण रूप से दिखाने लगेगा।


साइड इफेक्ट्स कोविड से भी बुरे हैं

असल में, हर वैक्सीन का साइड इफेक्ट हमें यह बताता है कि वह काम कर रहा है। जिन वैक्सीन का हम दशकों से उपयोग करते आ रहे हैं, उसे लगवाने से हल्का बुखार, दर्द आदि होता है। उससे ही पता चलता है कि वैक्सीन ने अपना काम करना शुरू कर दिया है।

कोरोना वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ मनगढ़ंत दावे किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका सच से कोई वास्ता नहीं है।

वैक्सीन से होगा महिलाओं में बांझपन

यह सोशल मीडिया पर फैलाया गया एक अफवाह है। इसका कोई वैज्ञानिक अधार नहीं है।

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