धरने पर बैठे निगम नेताओं को मिला निगम कर्मचारियों का समर्थन: हर्ष मल्होत्रा 

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि सफाई कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन, कॉन्ट्रैक्ट टीचर एसोसिएशन, माली एसोसिएशन, दिल्ली प्रदेश एमसीडी उद्यान विभाग कर्मचारी संघ, एमसीडी इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल एंड ऑल मजदूर संघ, पैरामेडिकल स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन, एमसीडी श्रमिक संघ, कनफेडरेशन ऑफ एमसीडी इंप्लाइज यूनियन सहित 35 से ज्यादा संगठनों ने समर्थन दिया है लेकिन कोरोना काल को देखते हुए इन्हें धरना स्थल पर नहीं बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि निगम कर्मचारियों को भी ज्ञात है कि निगम नेताओं की लड़ाई राजनीतिक नहीं बल्कि जनहित की लड़ाई है। इस जन आंदोलन का निर्णायक और सकारात्मक हल जरूर निकलेगा।

प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा के साथ प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार भी थे।
हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि भाजपा मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा निगम की महिला नेताओं के बैठने और सोने के स्थान पर कैमरे लगवाने के कृत्य की भर्त्सना करती है। मुख्यमंत्री केजरीवाल की नीति शुरू से ही महिला विरोधी रही है और यही कारण है कि अपनी पार्टी की महिला नेता को दूसरे नेता के साथ समझौता करने के लिए कहा।
हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि पिछले 8 दिनों से निगम के नेता महिला नेताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर एक संवैधानिक मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। उन नेताओं को परेशान करने की मानसिकता के साथ मुख्यमंत्री केजरीवाल जहां महिला पार्षद बैठी  होती है वहां पर लगे निगम के पोल पर एचडी सीसीटीवी कैमरा लगवा रहे थे। उन्होंने कहा कि निगम का बकाया 13 हजार करोड़ रुपए देने की मुख्यमंत्री केजरीवाल की मंशा बिल्कुल नहीं है इसलिए वह प्रतिदिन झूठ का अलाप कर रहे हैं। यही कारण है कि अब केजरीवाल सरकार उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का 2400 करोड़ रुपए माफ करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि यह विषय न तो स्थाई समिति में आया और न ही सदन में।
प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि  4 दिन पहले मुख्यमंत्री ने निगम पर घोटाले की जांच के आदेश दिए, वह जांच  के लिए और चार दिन चाहे ले लें लेकिन आरोप को साबित करें। इस बाबत उत्तरी दिल्ली नगर निगम महापौर ने भी मुख्यमंत्री को चुनौती दी है कि अगर आरोप साबित हुए तो महापौर इस्तीफा देंगे और अगर नहीं तो मुख्यमंत्री और उनका पूरा मंत्रिमंडल इस्तीफा दें।

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