54 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदार दिल्ली सरकार फौरन दे इस्तीफा: बिधूड़ी

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली के एक बार फिर सबसे प्रदूषित राजधानी साबित होने के कारण केजरीवाल सरकार से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक नहीं छोड़ा। केंद्र सरकार की कोशिशों और मदद के बावजूद केजरीवाल सरकार दिल्ली की हवा को जहरीला होते हुए मूक दर्शक की तरह लापरवाही से देखती रही।

दिल्ली में एक साल में 54 हजार लोगों की मौत प्रदूषण के कारण हुई है। इन लोगों की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए केजरीवाल सरकार को फौरन अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। रामवीर सिंह बिधूड़ी के साथ भाजपा विधायक व दिल्ली प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अभय वर्मा और विधायक व विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक श्री अजय महावर ने आज प्रदेश कार्यालय में हुए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा के मीडिया सह-प्रमुख हरिहर रघुवंशी भी उपस्थित थे।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से दिल्ली लगातार कुछ सालों से विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी साबित हो रही है। हाल ही के एक सर्वे में फिर से दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी कहा गया है। इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने विश्व के 1650  शहरों का सर्वेक्षण किया तो उसमें भी दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी साबित हुई। एक तरफ तो दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी साबित हो रही है और दूसरी तरफ दिल्ली सरकार इस मामले में जरा भी गंभीरता नहीं दिखा रही। ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली के प्रदूषण के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि अधिकारों का रोना रोने वाली इस सरकार के पास पूरे अधिकार हैं कि वह दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाए लेकिन उनके पास टकराव, प्रदर्शन और रोने के अलावा कोई और काम नहीं है।
बिधूड़ी ने सिलसिलेवार पूछा है कि केजरीवाल सरकार जवाब दे कि उसने वादा करके भी ये कदम क्यों नहीं उठाएः
1. दिल्ली में कनॉट प्लेस में एंटी स्मॉग टावर लगना था, अब तक क्यों नहीं लगा। पूरी दिल्ली में एंटी स्मॉग गन लगाई जानी थीं, अब तक क्यों नहीं लगीं। दिल्ली सरकार ने जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि तीन महीने में एंटी स्मॉग टावर बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आनंद विहार में भी स्मॉग टावर बनाने के लिए कहा था।
2. दिल्ली में अब तक इलेक्ट्रिक बसें क्यों नहीं आईं। पिछले कई सालों से एक हजार बसें लाए जाने का राग अलापा जा रहा है। केंद्र सरकार के भारी उद्योग विभाग ने दिसंबर 2017 में ही दिल्ली को 40 इलेक्ट्रिक बसें देकर प्रदूषण कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया था। इन बसों का कभी संचालन नहीं हो पाया। इस योजना के तहत 400 बसों की खरीद के लिए  वित्तीय सहायता देने का भी आश्वासन दिया था लेकिन दिल्ली ने इस योजना का लाभ नहीं उठाया। चार्जिंग स्टेशन बनाने में भी दिल्ली सरकार लगातार देरी करती रही है।
3. दिल्ली में सड़कों की सफाई के लिए मेकेनिकल स्वीपिंग कराने का वादा दिल्ली सरकार ने किया था लेकिन ज्यादातर सड़कों की सफाई मेकेनिकल नहीं हो रही।
4. दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के दिनों में हैलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव करने का वादा किया था, वह भी नहीं हुआ।
5. दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बुरा हाल हो चुका है। डीटीसी के बाड़े में पिछले एक साल में एक भी नई बस नहीं
आई। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुलभ न होने के कारण सड़कों पर ज्यादा वाहन हैं जिनसे हर तरह का प्रदूषण फैल रहा है।
6. सड़कों की मरम्मत न होने के कारण दिल्ली में बुरा हाल है। सड़कों की धूल के कारण ही पीएम  2.5 और पीएम 10 से दिल्ली के लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है।
7. दिल्ली में एनवायरनमेंट टैक्स लगाया गया जिसका इस्तेमाल प्रदूषण कम करने की योजनाओं पर करना था। दिल्ली सरकार ने 1174 करोड़ रुपए तो वसूल लिए लेकिन 902 करोड़ रुपए का इस्तेमाल ही नहीं किया।
8. दिल्ली सरकार ने पराली को खाद बनाने की योजना के नाम पर पूरे देश के साथ धोखा किया। सिर्फ 40 हजार रुपए की दवा खरीदी गई और 7 करोड़ रुपए सिर्फ प्रचार पर खर्च कर दिए। 13 लाख रुपए ट्रेक्टर ट्राली पर और 9 लाख से ज्यादा टैंटों पर खर्च कर दिए जबकि एक भी किसान सामने नहीं आया जिसने कहा हो कि पराली से खाद बन गई है।
9. दिल्ली सरकार ने कहा था कि राजधानी में दो करोड़ पेड़ लगाएंगे लेकिन पेड़ कहीं नजर नहीं आते।
10. दिल्ली सरकार में अब तक पुराने डीजल के वाहन चल रहे हैं और वे प्रदूषण फैला रहे हैं।
बिधूड़ी ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार तो दिल्ली की चिंता करते हुए हमेशा ही कदम उठा रही है ताकि दिल्ली सरकार जिस जिम्मेदारी से भाग रही है, उसे वह पूरा करते हुए दिल्ली की जनता को प्रदूषण से बचाएः
1. केंद्र सरकार ने दिल्ली के चारो तरफ पेरिफेरियल रोड बनाकर रोजाना 60 हजार भारी वाहनों को दिल्ली में आने से रोका जिससे प्रदूषण में 46 फीसदी की कमी आई।
2. यमुना की सफाई, दिल्ली में हाईवे, फ्लाई ओवर, फुट ओवर ब्रिज पर 48 हजार करोड़ रुपए खर्च किए।
3. मास्टर प्लान में तब्दीली करके नए औद्योगिक क्षेत्रों में सिर्फ सर्विस सेक्टर और हाई टेक कंपनियों को ही काम करने की इजाजत दी गई।
4. बी-6 मानक ईंधन की शुरुआत जिससे प्रदूषण में कमी आई।
5. संशोधित मोटर वाहन कानून लागू किया ताकि पुरानी गाड़ियां सड़कों से हट जाएं जो 10 से 12 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं।
6. हाल ही में डीडीए ने 12 बायो डायवरसिटी पार्क बनाने का फैसला किया है जिसमें 25 तरह के प्लांट लगाए जाएंगे।
7. बदरपुर में इको पार्क बनाया जा रहा है।
8. एयर क्वालिटी इंडेक्स पर लगातार निगरानी के लिए 29 नए गुणवत्ता केंद्र बनाए जा रहे हैं।
बिधूड़ी ने कहा कि हो सकता है कि दिल्ली में पिछले एक साल में कोरोना के कारण प्रदूषण में थोड़ा कमी आई हो क्योंकि कई महीने तक दिल्ली में मार्केट, उद्योग, ऑफिस सब बंद थे और सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे थे लेकिन उसके बाद जब सब कुछ खुला तो प्रदूषण का आलम यह है कि इस साल जनवरी में पिछले साल की तुलना में ज्यादा प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। पिछले साल जनवरी में एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 285 था लेकिन इस साल 323 रिकॉर्ड किया गया। हम खुली हवा में सांस भी नहीं ले पा रहे। ऐसी सरकार को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है और उसे फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए।

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