तीनों नगर निगम कर्मचारियों के साथ दिल्ली सरकार को भेदभाव नहीं करने देगी: गुप्ता
Date posted: 26 October 2020
नई दिल्ली: दिल्ली के तीनों नगर निगम, उत्तरी नगर निगम महापौर जय प्रकाश, दक्षिणी नगर निगम महापौर अनामिका मिथलेश सिंह, पूर्वी दिल्ली नगर निगम महापौर निर्मल जैन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास के बाहर निगम के बकाया 13,000 करोड़ रुपए कि मांग के संदर्भ में शाम तक जमीन पर बैठे रहे, लेकिन केजरीवाल अपने एसी कमरे से बाहर नहीं निकले।
तीनों महापौर कई दिनों से निगम कर्मचारियों के वेतन के संदर्भ में मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने समय नहीं दिया इसलिए आज तीनों महापौर मुख्यमंत्री आवास के बाहर उनसे मिलने के इंतजार में बैठे रहे। दिल्ली की दो करोड़ जनता और नगर निगम के 2 लाख कर्मचारी परेशान है लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार निगमों के कर्मचारियों का वेतन नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस रवैए पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश उपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा एवं प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार पर उपस्थित थे।
आदेश गुप्ता ने कहा कि एक हफ्ते पहले ही तीनों निगमों के महापौर ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखा था, जिसमें निगम की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की समस्या से अवगत कराया गया, और बताया कि कोरोना वॉरियर्स डॉक्टर, नर्स, स्वास्थकर्मी, सफाई कर्मचारी, डीबीसी वर्कर नगर निगम के तमाम कर्मचारी हैं जिन्होंने कोरोना काल में दिल्ली के लोगों की सेवा की, लेकिन निगम का फंड रुके होने के कारण उन्हें वेतन देने में समस्या हो रही है। तीनों महापौर ने पत्र में यह अनुरोध भी किया कि त्यौहार का मौसम है ऐसे में फंड जारी कर दें ताकि समय पर नगर निगम कर्मचारियों को वेतन मिल सके लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से कोई भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। आज मुख्यमंत्री से मिलने के लिए तीनों महापौर आवास के बाहर बैठे हुए हैं तो उन्होंने महापौर से मिलना जरूरी भी नहीं समझा।
आदेश गुप्ता ने बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम का तीन हजार करोड़ रुपये, उत्तरी दिल्ली नगर निगम का साढ़े छह हजार करोड़ रुपये और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का साढ़े चार हजार करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को देना है। दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वयं कहा था कि उन्हें नगर निगम का 13000 करोड़ रुपए बकाया देना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का 60,000 करोड़ का बजट है और पिछले साल के मुकाबले में 1 साल दिल्ली सरकार को सवा सौ करोड़ वादा राजस्व मिला है फिर भी निगमों का बकाया बजट जारी नहीं कर रहे हैं। नगर निगम एक्ट के तहत दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है कि जरूरत पड़ने पर वह तीनों नगर निगमों की वित्तीय सहायता करें। लेकिन दिल्ली सरकार क्या कर रही है, मुख्यमंत्री केजरीवाल डेंगु से लोगांे को बचाने के लिए अपने ही घर के गमले बदल रहे हैं, और वास्तविकता में निगम के डीबीसी वर्कर डेंगु से दिल्लीवासियों को बचाने के लिए जमीन पर काम कर रहे हैं। निगमों के अच्छे कामों का श्रेय लेने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल बड़े-बड़े होर्डिंग और प्रचार कर रहे हैं लेकिन निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं दे रहे हैं। कोरोना के शुरुआती दौर में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि उनके पास कोविड बेड की कमी है जिसके बाद में निगम के अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया लेकिन जब अस्पताल के कर्मचारियों को वेतन देने की बात आई तो केजरीवाल सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया।
आदेश गुप्ता ने बताया कि 2012-13 में दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय 17.6 प्रतिशत का कुल ग्लोबल शेयर निगमों को दिया जाता था, फिर 2013-14 में 16.11 प्रतिशत, 2014-15 में 15.24 प्रतिशत, 2015-16 में 14.16 प्रतिशत दिया जाने लगा। जो सरकार की सरकारों के बाद उन्होंने निगमों को 12 प्रतिशत शेयर देने की घोषणा की लेकिन 10 प्रतिशत ही देना शुरू किया लेकिन हैरानी तब हुई जब निगमों के कर्मचारियों ने कोरोना काल में सबसे अधिक काम किया उसके बाद भी दिल्ली सरकार ने 10 प्रतिशत के शेयर से भी 97 प्रतिशत की कटौती की। उन्होंने कहा कि निगम का स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं, अस्पताल में गरीब परिवार के लोग आते हैं लेकिन उन्हीं स्कूलों और अस्पतालों के कर्मचारियों को वेतन से दिल्ली सरकार ने वंचित किया है। क्या दिल्ली सरकार ने कभी अपने विधायकों के वेतन से कटौती की है? मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपराधियों से मिलने की फुर्सत है लेकिन निगम कर्मचारियों की वेतन के संदर्भ में तीनों निगम के महापौर सुबह से लेकर शाम तक मुख्यमंत्री आवास के बाहर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए बैठे रहे लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मुलाकात नहीं की। नगर निगम कर्मचारियों के प्रति दिल्ली सरकार संवेदनशील नहीं है, उनके लिए सिर्फ राजनीति ही मायने रखती है। राजनीतिक द्वेष में दिल्ली सरकार नगर निगम को दबाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है। मुख्यमंत्री केजरीवाल आज तो नहीं मिले लेकिन कल फिर से तीनों निगमों के महापौर एवं वरिष्ठ पदाधिकारी फिर से मुख्यमंत्री आवास के बाहर मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने के लिए जाएंगे। दिल्ली भाजपा और तीनों नगर निगम, निगम कर्मचारियों के साथ दिल्ली सरकार को भेदभाव नहीं करने देगी।
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