ईवीएम के खिलाफ 26 नवंबर को दिल्ली हुंकार भरेंगे डाॅ. उदित राज, राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन
Date posted: 24 November 2020
दिल्ली: अनुसूचित जाति- जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ द्वारा आगामी 26 नवम्बर को एक प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया जायेगा। यह प्रतिरोध मार्च अम्बेडकर भवन, रानी झांसी रोड से शुरू होगा और जंतर-मंतर तक जायेगा जहाँ यह सभा के शक्ल में आ जायेगा। कार्यक्रम कि विस्तृत जानकारी देते हुए परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद डाॅ. उदित राज ने बताया कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान लागू हुआ था, पर आज को तारीख में देश का संविधान ही खतरे में है।
दुर्भाग्य यह है कि जिन संस्थाओं को संविधान कि रक्षा करनी है, आज वही संविधान को खत्म करने पर अमादा हो गए हैं। ऐसे समय में संविधान को बचाने के लिए सड़क पर उतरने कि जरुरत है। इसलिए हमने प्रदर्शन के लिए संविधान दिवस का दिन चुना है। इस दिन दिल्ली समेत देश के कई राज्यों कि राजधानी पर संविधान के मॅडल के साथ लाखों लोग प्रदर्शन के लिए सड़क पर अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
डाॅ उदित राज ने बताया कि सरकार निजीकरण के माध्यम से आरक्षण को समाप्त कर देश के दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों कि हकमारी करना चाहती है। जिस तरह से केंद्र सरकार औने पौने दाम में सरकारी उपक्रमों को बेच रही है उससे यह लगता है कि जल्दी ही पूरा देश प्राईवेट लिमिटेड कंपनी बन जायेगा। भेल हो, सेल हो, गेल हो, बी एस एन एल हो, एम टी एन एल हो या एयरपोर्ट ये सब जनता कि जनता के खून पसीने और गाढ़ी कमाई से बने हैं, अपने पूंजीपति दोस्तों को जिस तरह से ये सरकार उपहार में दे रही है देश कि जनता के साथ ‘द्रोह’ है।
डाॅ. उदित ने आगे कहा कि आज कि तारीख में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग भी विश्वसनीय नहीं रह गया है। एक तरफ जहाँ सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले से जाति विशेष पर मेहरबानी करती दिखती है और आरक्षण के खिलाफ फैसले देती है, उससे पता चलता है कि सरकार देश कि बड़ी आबादी दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों कि अनदेखी कर रही है।
कोलेजियम सिस्टम से जजों कि कुर्सी पर बैठे लोगो पर देश के दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों का बिश्वास नहीं है। यह पूरी तरह से बंद होना चाहिए। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने एस एस टी एक्ट के साथ फिर से छेड़खानी कि है। इस एक्ट के नए प्रावधान से लगता है कि सवर्ण को दलितों पर अत्याचार करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
डाॅ. उदित राज ने ईवीएम पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा कि यह एक सामान्य समझ का व्यक्ति भी अपनी तर्कशक्ति का इस्तेमाल करके बता सकता है कि जब लाखो-करोडो किलोमीटर दूर से अन्तरिक्ष के सेटे लाईट को धरती से नियंत्रित किया जा सकता है तो ईवीएम को टेम्पर करना कौन सी बड़ी बात है। इतने बड़े लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया का संदिग्ध होना अच्छा नहीं है। दूसरी बात ये ये है कि जब अमेरिका और जापान जैसे विकसित देश अब बैलेट पेपर से चुनाव करा रहे हैं तो भारत में क्यूँ नही ऐसा किया जा सकता है।
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