दिल्ली: कार्यकारिणी बैठक में पेश किया गया राजनीतिक प्रस्ताव

नई दिल्ली:  दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने राजधानी के हर क्षेत्र में बदहाली के हालत के लिए सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की गलत और भ्रष्टाचारी नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए केवल जल बोर्ड में ही लगभग 60000 करोड़ का घोटाला किए जाने का आरोप लगाया है।

पार्टी कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक परिवहन और बिजली बिलों में फिक्स्ड चार्ज के मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। कोरोना काल के दौरान कार्यकारिणी की इस बैठक में संसदीय क्षेत्रों के हिसाब से 7 लोकसभा क्षेत्रों में आयोजित किया गया जिन्हें वर्चुअल माध्यम से जोड़ा गया।
राजनीतिक प्रस्ताव में दिल्ली सरकार पर जानबूझकर दिल्ली के तीनों नगर निगम को पंगु बनाने का आरोप लगाया गया। निगम ठीक तरह से काम ना कर सके इसके लिए दिल्ली सरकार ने उनका संवैधानिक हक रोक रखा है। वर्तमान वित्त वर्ष की अवधि समाप्ति की ओर है लेकिन फंड का एक चौथाई भी अभी तक जारी नहीं किया गया। इसी मुद्दे पर निगमों के महापौर और पार्षद मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर हैं लेकिन केजरीवाल के पास उनसे ज्ञापन लेने का भी समय नहीं है।
 कार्यकारिणी ने दिल्ली जल बोर्ड, बिजली के बिलों में फिक्स्ड चार्ज, शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की विफलता और भ्रष्टाचार पर श्वेत पत्र लाने की मांग की है।
 प्रस्ताव में कहा गया है कि कोरोना से निपटने और दिल्ली के दंगों से निपटने में केजरीवाल सरकार पूरी तरह से विफल रही है। इस विफलता का सबसे बड़ा सबूत यह है कि दोनों ही मामलों में केंद्रीय गृह मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने जहां दंगों की रोकथाम के लिए कड़ी कार्रवाई की वहीं कोरोना के मामले में भी केंद्रीय स्तर पर दिल्ली सरकार की पूरी मदद कर स्थिति को और बिगड़ने से बचाया। लॉकडाउन के दौरान केजरीवाल सरकार के निराशापूर्ण रवैए ने तो मजदूरों को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया और राशन वितरण में भी भारी गड़बड़ी की गई। आम आदमी पार्टी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को सुविधाएं ना देकर एक तरह से उन्हें पलायन के लिए बाध्य किया। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली हर वर्ष की तरह इस बार भी वायु प्रदूषण से बदहाल रही और इसके नियंत्रण के लिए केजरीवाल सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। सरकार की लापरवाही के कारण दिल्ली गत 6 वर्षों में विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है।
कार्यकारिणी में राजनीतिक प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि 6 वर्षों में दिल्ली सरकार तो है पर प्रशासन के नाम पर कोई नहीं है। कोरोना काल में जब दिल्ली को प्रशासन व्यवस्था की सर्वाधिक जरूरत थी तो उसमें अपनी ही प्रशंसा में जुटी केजरीवाल सरकार हर मामले में कमजोर और दिशाहीन नजर आई। अनधिकृत कॉलोनियों और पुनर्वास बस्तियों को आम आदमी पार्टी सरकार ने बड़े-बड़े आश्वासन दिया लेकिन अब वहां के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि केवल दिल्ली जल बोर्ड में ही केजरीवाल सरकार ने लगभग 60000 करोड़ रुपए का घोटाला किया है।
प्रस्ताव में कहा गया कि आजादी के बाद दिल्ली में पहली बार हिंदू और मुसलमानों में इतना तनाव और हिंसा दिखाओ और इसके लिए अमानतुल्लाह खान और ताहिर हुसैन जैसे आम आदमी पार्टी नेता जिम्मेदार हैं जिन्हें आम आदमी पार्टी सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
पार्टी ने दिल्ली में खराब होती परिवहन व्यवस्था, सरकारी स्कूलों की बदतर हालत और उनके गिरते नतीजे पर भी गहरी चिंता व्यक्त की।
प्रस्ताव में दिल्ली सरकार द्वारा दिल्लीवासियों को भड़काने का जिक्र किया और पार्टी ने नगर निगमों की बकाया राशि को 6 वर्षों से रोके रखने के लिए भी दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि फंड राशि 13000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है और इसे जारी करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री निवास के बाहर 7 दिनों से धरने पर बैठे हैं महापौरों से केजरीवाल के पास मिलने का समय नहीं है।

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