देशभर में सबसे ज्यादा महंगी बिजली दिल्ली के किसानों को ही मिल रही है: बिधूड़ी
Date posted: 9 October 2020
नई दिल्ली: किसान विरोधी केजरीवाल सरकार की गांव-देहात और कृषि क्षेत्र के प्रति असंवेदनहीनता और झूठे-बेबुनियाद बयानबाजी कर दिल्ली के लोगों को गुमराह करने की प्रवृत्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सांसद प्रवेश साहिब सिंह और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार, प्रदेश प्रवक्ता मोहन लाल गिहारा एवं सुश्री नीतू डबास उपस्थित थीं।
प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह गांव-देहात के इलाकों में जाकर ग्रामीणों की समस्या को जाने, इसलिए वह अपने मंत्रियों को भेजते हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल की सरकार के मंत्री गोपाल राय ने गांवों में पंचायत बैठक के दौरान किसानों को आश्वस्त किया था कि चुनाव के बाद केजरीवाल सरकार उनकी फसलों के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा मूल्य देगी, किसके विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च हुए लेकिन आज तक एक भी रुपए की फसल नहीं खरीदी गई। आज दिल्ली के मंत्री जिन्हें दिल्ली के गांव के नाम नहीं पता, रास्ते नहीं पता वह प्रेस वार्ता कर गांव की बात करते हैं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि दिल्ली में कोई कृषि मंत्री नहीं है। पिछले 6 सालों में अब केजरीवाल सरकार को यह याद आया है कि दिल्ली के किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि चुनाव के पहले तो केजरीवाल सरकार ने वादा किया था कि दिल्ली के किसानों की फसल वह स्वंय खरीदेगी, उस वादे का क्या हुआ?
श्री सिंह ने कहा कि वास्तव में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) गेहूं और चावल सीधे किसानों से खरीदा है और उसके अलावा जो फसल होती है वह राज्य सरकार के जरिए खरीदी जाती है। हर राज्य कृषि भूमि से लेकर फसल के उत्पादन की मात्रा की जानकारी केंद्र सरकार को देती है। केन्द्र सरकार सभी राज्य सरकारों की मदद और सुझाव से तय करती है लेकिन दिल्ली सरकार ने तो अभी तक न किसानों का डाटा तैयार किया है और न ही उनको उनकी पहचान दी है। किसानों को मिलने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 6000 रुपये की राशि से दिल्ली के 40 प्रतिशत किसान इसलिए वंचित है क्योंकि दिल्ली सरकार ने उनके दस्तावेज अपने ही पास दबाकर रखे है और कृषि मंत्रालय को अभी तक नहीं भेजे। दिल्ली के किसान को अपनी फसल को बेचने के लिए हरियाणा जाते हैं क्योंकि दिल्ली सरकार वायदे के अनुसार बढ़े हुए एमएसपी के दर से भुगतान नहीं करती है।
श्री सिंह ने कहा कि दिखावे के लिए किसानों का दर्द समझने का ढोंग करने वाले राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के किसानों से फसल नहीं खरीदे और गोपाल राय कह रहे हैं कि उन्होंने कई बार केंद्र सरकार को इस संदर्भ में पत्र लिखा है, जबकि आज तक दिल्ली की ओर से केंद्र सरकार को किसी भी प्रकार का प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाने में, लोगों को गुमराह करने में, जनता के हितैषी बनने का ढोंग करने में आम आदमी पार्टी सरकार और उनके मंत्रियों ने महारत हासिल की है, जिसका एक उदाहरण आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने संसद में कृषि बिल के विरोध में प्रस्तुत किया। कई बार स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने कहा है कि न मंडी की व्यवस्था खत्म होगी और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था, बल्कि कृषि बिलों के जरिए से अधिक मुनाफे पर फसल को बेचने के लिए किसानों को मंडी के अलावा अन्य वैकल्पिक माध्यम मुहैया होंगे, बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी, उन्हें नई तकनीकी से जोड़ा जाएगा जिससे आने वाले समय में किसान समृद्ध और सशक्त होंगे।
दिल्ली सरकार द्वारा किसानों को किए गए पुराने वादों को दोहराते हुए रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को किसानों के मुद्दे पर मीडिया प्लेटफॉर्म या किसी गांव में चर्चा करने की चुनौती दी। उन्होंने बताया कि 29 जनवरी 2019 को केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने प्रेस वार्ता में यह घोषणा की थी कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य से गेहूं पर 776 रुपए प्रति क्विंटल अधिक और धान पर 897 रुपए प्रति क्विंटल अधिक की दर से भुगतान करेगी। 6 फरवरी को स्वयं मुख्यमंत्री केजरीवाल ट्वीट करके या जानकारी दी थी कि धान और गेहूं की कीमत बढ़ा दी गई है और डॉ स्वामीनाथन की रिपोर्ट भी लागू की गई है, जिसके लिए दिल्ली सरकार लगभग 100 करोड़ रुपए किसानों की भलाई के लिए खर्च करेगी। इसके लिए पूरे पन्ने का विज्ञापन भी दिया गया लेकिन आज तक एक भी किसान को बढ़ी हुई रकम नहीं दी गई। घोषणा के संदर्भ में कई बार किसान संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखा उनसे मिलने की कोशिश, लेकिन मुख्यमंत्री मिलने को तैयार नहीं हुए।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली को छोड़कर पूरे हिंदुस्तान में किसानों की भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा बढ़ा दिया गया है लेकिन 6 वर्षों के शासनकाल में भी केजरीवाल सरकार ने किसानों की जमीन का मुआवजा नहीं बढ़ाया। दिल्ली के गांवों का लाल डोरा भी नहीं बढ़ाया गया। देशभर में सबसे ज्यादा महंगी बिजली दिल्ली के किसानों को ही मिल रही है। कृषि उपकरण जैसे कि कल्टीवेटर, हैरो, लेबलिंग मशीन इत्यादि की खरीद पर भी केजरीवाल सरकार की ओर से दिल्ली के किसानों को किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं दी जाती है, उन्हें सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगाने की अनुमति भी नहीं दी है। दिल्ली में किसानों की जमीन अधिगृहित तो कि गए लेकिन आज तक उन्हें अल्टरनेट रेजिडेंशियल प्लॉट नहीं दिए गए हैं। किसानों के हितैषी बनने का दिखावा करने वाली केजरीवाल सरकार की नीतियां किसान विरोधी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल इन आरोपों का जवाब दें और बताएं कि दिल्ली के किसानों के साथ उनकी सरकार सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है?
Facebook Comments