जिला उद्यान अधिकारी की जनपद के आम उत्पादकों को सलाह
Date posted: 3 March 2022
नोएडा: जिला उद्यान अधिकारी गौतम बुद्ध नगर शिवानी तोमर ने जनपद के समस्त आम उत्पादकों का आह्वान करते हुए जानकारी दी है कि आम की फसल को कीट एवं व्याधि से बचाने व प्रदेश में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिये सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित समय प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है क्योंकि बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती हैं। वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से क्षति पहुँचने की सम्भावना रहती है।
उन्होंने बताया कि आम के बागों में भुनगा कीट कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं।प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है साथ ही यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूँद जम जाती है। फलस्वरूप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड़ जाती है। इसी प्रकार से आम के बौर में लगने वाला मिज़ कीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है, जिसकी सूँडी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती हैं। प्रभावित भाग काला पड़ कर सूख जाता है। भुनगा एवं मिज कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड(0.3 मि0ली0 प्रति लीटर पानी) या क्लोरपाइंरीफास (2.0 मिली0/ली0 पानी) अथवा डायमेथोएट (2.0 मि0ली0/ली0 पानी) की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इसी प्रकार खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समान फफूँद की वृद्धि दिखाई देती है।
प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं तथा मंजरियाॅ सूखने लगती हैं। इस रोग से बचाव के लिए ट्राइडोमार्फ 1.0 मिली0 ली0 या डायनोकेप 1.0 मिली0ली0/ली0 पानी की दर से भुनगा कीट के नियंत्रण के लिए प्रयोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।उन्होंने बागवानों को जानकारी देते हुये बताया कि बागों में जब बौर पूर्ण रूप से खिला हो तो उस अवस्था में कम से कम रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाये जिससे पर-परागण क्रिया प्रभावित न हो सके एवं कीटनाशक के प्रयोग में सावधानियाँ भी बरती जाये जैसे-कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुँच से दूर रखना चाहिए। कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने, मुँह को मास्क व आँखों को चश्मा पहनकर ढक लेना चाहिए, जिससे कीटनाशी त्वचा व आँखों में न जाये। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिए।कीटनाशक के खाली पाउच / डिब्बों को मिट्टी में दबा देना चाहिए।
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