कोरोना से डरे नहीं, जानकारी के साथ बचाव करें : डा. अजय शंकर त्रिपाठी

लखनऊ: कोरोना एक तेजी से फैलने वाला संक्रमण है, जिसकी अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आयी है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है। हमें कोरोना से डरना नहीं है, जानकारी के साथ बचाव करना है। आज प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से घट रहा है। घटते संक्रमण को देखकर इससे बचाव के लिए एहतियात में लापरवाही न करें।
ये उद्गार डा0 अजय शंकर त्रिपाठी ने कोरोना काल में ली जाने वाली एहतियात तथा सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों से अवगत कराने के लिए आज यहां राम ग्लोबल स्कूल में आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किए।

डा0 अजय शंकर त्रिपाठी यहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की कोविड विंग में वरिष्ठ परामर्शदाता तथा पैथोलोजी विभाग के अध्यक्ष हैं। डा0 त्रिपाठी ने कहा कि इस संक्रमण के वृद्धजनों, गर्भवती महिलाओं, पहले से अन्य बीमारियों जैसे कैंसर, एड्स, अस्थमा, मधुमेह से ग्रस्त लोगों और बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाना आवश्यक है। उन्होंने कार्यशाला में संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग, हाथ धोने तथा पर्याप्त दूरी बनाए रखने के लिए जागरूक किया।

कार्यशाला में डा. त्रिपाठी ने कोरोना टेस्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह विश्व स्तर पर फैली एक नयी महामारी है। पहले प्रदेश में इसका टेस्ट का नमूना पूना तथा दिल्ली की लैब में भेजा जाता था, जिसका परिणाम तीसरे दिन प्राप्त होता था। प्रदेश सरकार की तत्परता से आज प्रदेश में 46 आरटीपीसीआर तथा सभी 75 जनपदों में ट्रूनेट विधि से टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। 8 जनपदों में सीबीनाट मशीन द्वारा जांच की जा रही है तथा 142 निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं द्वारा भी कोविड संक्रमण जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।

संक्रमण के प्रति जानकारी और बचाव हेतु अधिक से अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए डा0 ़ित्रपाठी ने कहा कि जहां कार्यालयों में बचाव के लिए एहतियात रखना आवश्यक है वहीं स्कूलों के खुलने से पहले स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों में इस संक्रमण से बचाव हेतु सभी नियम-निर्देशों की जानकारी अत्यंत आवश्यक है।

कार्यशाला के दौरान स्कूल की चीफ एकेडमिक एडवाइजर एवं वरिष्ठ शिक्षिका पूजा प्रसाद ने प्रतिभागियों का प्रतिनिधित्व करते हुए शंका निवारण के लिए कई प्रश्न किए। प्रसाद ने डायबिटिक रोगी में कोरोना संक्रमण से उत्पन्न गम्भीरता, वातानुकूलित स्थलों पर संक्रमण प्रसार की तीव्रता, मास्क की गुणवत्ता तथा आइसोलेशन की आवश्यकता जैसे महत्वूर्ण मुद्दों पर सवाल किए।

शंका निवारण करते हुए डा0 त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना संक्रमण में शरीर में शूगर का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए इस कोरोनाकाल में डायबिटिक लोगों को अपना शुगर स्तर कन्ट्रोल रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि ए0सी0 में बैठने से संक्रमण के तीव्र प्रसार की बात पहले आयी थी लेकिन व्यवहार में ऐसा नही देखा गया है कि एसी के कारण संक्रमण तेजी से फैला हो। श्रीमती पूजा प्रसाद द्वारा ट्रिपल लेयर मास्क तथा एन 95 मास्क की आवश्यकता को लेकर किए सवाल का जवाब देते हुए डा0 त्रिपाठी ने बताया कि आमतौर पर घर का सिला मास्क ही लगाना आवश्यक है, जिसे 06 घंटे बाद अथवा गीला हो जाने पर बदल लेना चाहिए तथा एक बार प्रयोग किए मास्क को धुलने के बाद ही दोबारा प्रयोग में लेना चाहिए।
श्रीमती पूजा प्रसाद ने संक्रमण में आइसोलेशन की आवश्यकता और कंटेनमेंट जोन में मूवमेंट कैसे हो, इस पर भी प्रकाश डालने का अनुरोध किया गया। उन्होंने पूछा कितनी अवधि तक और किसे आइसोलेशन में जाने की आवश्यकता है। डा0 त्रिपाठी ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को कोरोना टेस्ट निगेटिव आने तक निरन्तर आइसोलेशन में रहना आवश्यक है तथा ऐसे व्यक्ति जो कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये हैं उनका कोरोना टेस्ट होने तक आइसोलेशन में रहना चाहिए। टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें अपनी बाहरी गतिविधियां प्रारम्भ करनी चाहिए।
कन्टेनमेंट जोन को लेकर पूजा प्रसाद ने प्रश्न किया कि किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के घर के आसपास जाया जा सकता है या नहीं? डा0 त्रिपाठी ने बताया वर्तमान में कोरोना वायरस की तीव्रता में कमी आयी है इसलिए यदि जरूरी हो तो एहतियात के साथ मास्क का प्रयोग करते हुए ऐसे क्षेत्र में भ्रमण किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि घर से बाहर निकलते ही मास्क का प्रयोग आवश्यक रूप से करें।

कार्यशाला में श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के प्रबंधक डा0 आशुतोष प्रताप सिंह, फार्मेसी से डा0 श्रवण चैधरी, श्री राम ग्लोबल स्कूल के समस्त शिक्षक, प्रबंधन और सभी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाल सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए आयोजित की गई।

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