सरकार को बदनाम न करें अधिकारी, लोकतंत्र है राजतंत्र नहीं: राजीव रंजन
Date posted: 3 December 2021
पटना: विधानसभा में श्रम संसाधन मंत्री मंत्री जीबेश मिश्रा के साथ हुए दुर्व्यवहार पर बिफरते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने आज कहा कि लोकतंत्र में जनता मालिक होती है और निर्वाचित जनप्रतिनिधि उनके नुमाइंदे. जनप्रतिनिधियों का सम्मान जनता का सम्मान होता है और उनका अपमान जनता का अपमान. बिहार के कुछ अफ़सर शायद इस बात को भूल चुके हैं. इन अधिकारियों अपने दायरे को समझना ही होगा, नहीं तो जनप्रतिनिधियों को भी अपना विशेषाधिकार प्रयोग में लाना आता है.
उन्होंने कहा कि कौन नहीं जानता है कि राजद के राज में अफसरों के साथ कैसा व्यवहार होता था. लेकिन एनडीए सरकार में सबको सम्मान और काम करने की आजादी मिली. लेकिन बिहार में कुछ अफ़सरों ने इस आजादी का गलत अर्थ लगा लिया है और खुद को विधायकों और मंत्रीगणों से भी ऊपर समझने लगे हैं. एक कैबिनेट मिनिस्टर की गाड़ी को रोक कर एसपी, डीएम की गाड़ी को पास करवाना उनके इसी अहंकार का नमूना है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उसपर भी यह वाकया लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले विधानसभा के परिसर में हुआ, इससे स्वत: समझा जा सकता है कि उनका घमंड किस कदर उनके सर पर चढ़ कर बोल रहा है.
रंजन ने कहा कि क्षेत्र से आने वाली सूचनाओं की माने तो कई जगह अधिकारी एक ख़ास पार्टी के जनप्रतिनिधियों को उद्घाटन व शिलान्यास जैसे कार्यों में निमंत्रित तक नहीं करते. इससे न केवल जनता में गलत संदेश जाता है बल्कि इससे सरकार की छवि भी खराब होती है. सरकार को इस तरह के अधिकारियों को चिन्हित कर कड़ी कारवाई करनी चाहिए.
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि देश में लोकतंत्र है, राजतंत्र नहीं. अधिकारी सरकार के कामों में मदद के लिए होते हैं, उन्हें हुक्म देने के लिए नहीं. किसी भी अधिकारी का यह सोचना कि वह सरकार के किसी मंत्री से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, पूरी तरह से गलत है. अधिकारी यह जान लें कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वह मालिक नहीं हैं बल्कि जनता के सेवक हैं. उन्हें चाहिए कि वह इस तरह का कोई काम नहीं करें जिससे सरकार की बदनामी हो.
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