एनडीए राज में बिहार की महिलाओं का हुआ चतुर्दिक विकास: राजीव रंजन
Date posted: 4 September 2020
पटना: महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बिहार सरकार द्वारा किए गए कार्यों को ऐतिहासिक करार देते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा “ यह किसी से छिपा नही है कि सत्ता में आने के बाद से ही बिहार सरकार महिलाओं के चतुर्दिक विकास के लिए लगातार काम करती रही है. यह महिला सशक्तिकरण के प्रति सरकार का संकल्प ही है, जिसके कारण बिहार पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बना, वहीँ रोजगार के क्षेत्र में भी यहाँ महिलाओं को 35% आरक्षण मिल रहा है.
दरअसल बिहार सरकार ने लड़कियों के जन्म से लेकर, उनकी शिक्षा-दीक्षा और उनके स्वावलंबन तक के लिए प्रावधान किए हुए हैं, जिसका बिहार की महिलाओं पर पड़ने वाला सकारात्मक प्रभाव साफ़ दिखाई दे रहा है. याद करें तो 2005 में जब बिहार सरकार सत्ता में आयी थी तब बिहार में स्कुल जाने वाली लड़कियों का प्रतिशत महज 12.5% था. जिसे देखते हुए बिहार सरकार ने साइकिल योजना, पोशाक योजना तथा उन्हें छात्रवृति प्रदान करने जैसे कई साहसिक कदम उठाए. यह सरकार के उन्ही निर्णयों का परिणाम है कि आज बिहार में तकरीबन 100 प्रतिशत छात्राएं स्कुल जाने लगी है. इसके अलावा लड़कियों में उच्च शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ाना भी एक बड़ी चुनौती थी.
ज्ञातव्य हो कि पहले आर्थिक अभाव और शादी ब्याह के कारण दंसवी के बाद पढाई करने वाली लड़कियों की संख्या काफी कम थी, जिसे देखते हुए बिहार सरकार ने एक तरफ इंटर और ग्रेजुएशन पास करने वाली लड़कियों के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया दूसरी तरफ कम उम्र में लड़कियों की शादी रोकने के लिए जबर्दस्त सामाजिक जागरूकता फैलाई.
आज इंटर पास करने पर छात्राओं को 10 हजार और स्नातक करने पर 25 हजार की राशि दी जाती है. बताते चलें कि आज जन्म से लेकर स्नातक तक बिहार सरकार लड़कियों को कुल 54 हजार रुपए प्रति छात्रा प्रदान कर रही है. सरकार के प्रयासों के सफलतापूर्वक धरातल पर उतरने से आज उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या पहले से काफी बढ़ चुकी है. इसके अतिरिक्त महिलाओं के स्वावलंबन के लिए बिहार सरकार द्वारा शुरू की गयी जीविका परियोजना तो आज राज्य की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं के जीवन का सहारा बन चुकी है. ज्ञातव्य हो कि विश्व बैंक के सहयोग से चलायी जा रही इस परियोजना के तहत 10 लाख स्वयं सहायता समूहों के गठन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमे से 8.50 लाख स्वयं सहायता समूहों का निर्माण हो चुका है. आज यह परियोजना न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि इससे बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी अभूतपूर्व सुधार आया है.”
Facebook Comments