किसानों को दोमुंही बातें करने वाली कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत है: मेघवाल

नई दिल्ली:  ऐतिहासिक कृषि बिल के समर्थन में एवं विपक्षी पार्टियों द्वारा कृषि बिल को लेकर किए जा रहे भ्रामक प्रचार को रोकने हेतु आज केंद्रीय भारी उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और सांसद रमेश बिधूड़ी ने दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के ओखला फेज-1 में किसान पंचायत को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश प्रवक्ता विक्रम बिधूड़ी उपस्थित थे। इसी क्रम में दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के शिव विहार में आयोजित किसान सम्मान समारोह में किसानों का सम्मान किया एवं किसानों के हित में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए किसान बिलों पर विस्तृत जानकारी देते हुए कार्यक्रम को संबोधित किया। पूर्व विधायक जगदीश प्रधान कार्यक्रम के संयोजक थे।

इस अवसर पर नवीन शाहदरा जिला अध्यक्ष मास्टर विनोद कुमार सहित जिले व मंडल के पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा नये कृषि कानून के समर्थन में नरेला विधानसभा क्षेत्र के खेड़ा खुर्द गांव में ट्रैक्टर की पूजा के पश्चात किसानों की महापंचायत को संबोधित किया। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष विनोद सहरावत, उत्तर पश्चिम जिलाध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी, पूर्व विधायक नीलदमन खत्री सहित किसान मोर्चा के पदाधिकारी उपस्थित थे।
केंद्रीय भारी उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल उन्होंने कहा कि किसानों की उन्नति हेतु बदलाव दशकों पहले ही हो जाना चाहिए था परन्तु वर्षों तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के हितों की बजाय बिचैलियों के साथ खड़ी थी। उन्होंने कहा कि संसद में पास हुए विधेयक से 70 साल के बाद मोदी जी के नेतृत्व में किसानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। किसानों को दोमुंही बातें करने वाली कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल फिर 2014 के चुनावों में राहुल गांधी ने स्वयं कहा था कि किसानों के पास फसल बेचने के मंडी के अलावा वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए, यह कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी था। भारतीय जनता पार्टी सरकार भी अपने वादे मुताबिक कृषि बिल के माध्यम से किसानों को मंडी के अलावा भी अन्य प्लेटफार्म के जरिए फसल बेचने की सुविधा दे रही है तो इसमें कांग्रेस को दिक्कत हो रही है।
मेघवाल ने कहा कि कृषि सुधारों के बाद किसानों को अभी अधिकार है कि वह अपने उत्पादों को मंडी के लाभ अधिक मुनाफे के लिए स्वतंत्र रूप से कहीं भी भेज सकते हैं। किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए एजेंसियों के साथ साझेदारी भी कर सकते हैं जिसमें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग निजी एजेंसियों को उत्पाद खरीदने की अनुमति देगी और कॉन्ट्रैक्ट केवल उत्पाद के लिए होगा। अगर फसल खराब भी होती है तो किसान को उस फसल का पूरा पैसा मिलेगा। उन्होंने कहा कि  मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की है उसने भी विपक्षी पार्टियों को तकलीफ हो रही है। कृषि क्षेत्र में लाए जा रहे बदलावों से किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उन्हें नए अवसर मिलेंगे बिचैलिए खत्म होंगे, इससे सबसे ज्यादा फायदा छोटे किसानों को होगा। कृषि सुधार बिल जो किसानों को समृद्ध, सशक्त और स्वतंत्र बनाने वाला बिल है, जिसमें किसानों की आय दोगुनी हो इस संकल्प को पूरा करने की ओर मोदी जी सरकार बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गरीब, मजदूर, किसान के विकास के लिए समर्पित है और अपने पहले कार्यकाल से किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध रही है और सरकार का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर रहा है।
दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि कृषि बिल के जरिए मोदी सरकार ने किसानों को यह सुविधा दे दी है कि किसान एमएसपी से भी अधिक जहां अच्छे दाम मिले वहां उस फसल को ले जाकर बेच सकते हैं। विपक्षी पार्टी किसानों पर झूठ बोल रहे हैं और एमएसपी को लेकर दुष्प्रचार कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वयं स्पष्ट किया है कि किसानों के हित में न तो एमएसपी हटाई गई है और न ही हटाई जाएगी यदि उससे अधिक भी किसानों को मिल सकेगा वह भी उन्हें दिया जाएगा, मंडी व्यवस्था भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से नागरिकता कानून पर विपक्षी पार्टियों ने लोगों को बरगलाया उसी प्रकार कृषि बिल पर भी किसानों को बरगला रहे हैं।
सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि कृषि बिल का विरोध सिर्फ विपक्षी पार्टियों कर रही है, किसान नहीं। किसानों को मोदी सरकार पर पूरा भरोसा है। अब किसान खरीददार से सीधे संपर्क कर सकेंगे और बीच में बिचैलियों को मिलने वाले लाभ के बजाय किसान को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिलेगी। अगर इस दौरान किसी भी विवाद की स्थिति बनती है तो उसका निपटान भी 30 दिनों में स्थानीय स्तर पर हो सकेगा और खरीददार द्वारा उपयुक्त कृषि मशीनरी तथा उपकरण की व्यवस्था की जाएगी। देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) निर्मित किए जा रहे हैं, कांट्रैक्ट सिर्फ उपज पर लागू होगा किसान की जमीन पर नहीं। किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
सिद्धार्थन ने कहा कि संसद के दोनों सदनों से पास कृषि बिल के माध्यम से किसानों के जीवन में अहम बदलाव होंगे और उन्हें बिचैलियों के हाथों अब शोषित नहीं होना पड़ेगा। विपक्षी पार्टियों किसानों के बजाय बिचैलियों के साथ खड़ी है इसलिए वह कृषि बिलों का विरोध कर रही है। कृषि बिल देश के किसानों को स्वतंत्र और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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