दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक की तरह ऑक्सीजन में भी फ्रॉड: मीनाक्षी लेखी

नई दिल्ली:  भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने आज केजरीवाल सरकार की लापरवाही का पर्दाफाश करते हुए कहा कि जब पूरा देश कोरोना से लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहा था, उस वक्त केजरीवाल सरकार दिल्ली में 21 साल से कम उम्र के युवकों को शराब पिलाने की तैयारी में जुटी हुई थी। जब कोरोना की चपेट में दिल्ली आने लगी और स्थिति केजरीवाल के हाथ से बाहर जाने लगी तब अपनी लापरवाही का ठीकरा बड़ी चालाकी से केंद्र सरकार के ऊपर डाल दिया। आज प्रदेश कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता में उन्होंने केजरीवाल से सवाल करते हुए कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार से मिले 1116 करोड़ रुपये और इस साल मिले 1120 करोड़ रुपये का क्या किया? प्रेस वार्ता में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रमुख नवीन कुमार मौजूद थे।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सत्ता में आने से पहले से ही केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे हैं और आज भी वे झूठ बोल रहे हैं। साल 2015 में उन्होंने कहा था कि हम दिल्ली में 30,000 बेड लगवाएंगे, लेकिन आज  तक सिर्फ 354 नए बेड ही जोड़े गए हैं। नगर निगम के अंतर्गत आने वाले डिस्पेंसरी जिनकी संख्या पहले 265 थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने 230 कर दी है। उन्होंने पूछा कि करीब 10,000 करोड़ की स्वास्थ्य बजट वाली केजरीवाल सरकार ने कोरोना के नाम पर क्या किया है? उनके द्वारा बनाया गया मोहल्ला क्लिनिक अगर एक टीकाकरण केंद्र के लायक भी होता तो  बात  समझ मे आती लेकिन आज सभी मोहल्ला क्लिनिक बन्द पड़े है। क्या इसी के लिए बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर पूरे देश में प्रचार किया  गया था और अपनी स्वस्थ्य व्यवस्था को विश्वस्तरीय करार दिया था। हकीकत तो यह है कि केजरीवाल सरकार चाहती है कि उसको अस्पताल, उसमें काम करने वाले कर्मचारी और ऑक्सीजन सब कुछ केंद्र सरकार दें ताकि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर झूठे प्रचार और विज्ञापन कर सके क्योंकि सारा पैसा तो प्रचार पर ही खर्च होता है?
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा कागजों में तो कई सारे अस्पताल चल रहे हैं, लेकिन इस कोरोना की लड़ाई में वह कितने सहायक है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि हरिशचन्द्र अस्पताल में कुल 350 बेड है, लेकिन अभी सिर्फ 130 बेड चालू हो हो पाये है। सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल जनकपुरी में 285 बेड होने के बावजूद केजरीवाल सरकार सिर्फ 15 बेड चालू करने में समर्थ हो पाई है और  द्वारका स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल में 1725 बेड की क्षमता है, लेकिन पिछले 3 सालों से बन कर तैयार इस अस्पताल को अभी तक शुरू करने की मंजूरी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि मैं केजरीवाल से पूछना चाहती हूं कि केजरीवाल के शासन काल में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हुए करीब 45000 करोड़ रुपए का हिसाब कहां है और सरकार ने उन पैसों से क्या किया? टीकाकरण को लेकर केजरीवाल शुरू से लापरवाह रवैया अपनाए हुए हैं। निगम द्वारा चलाए गए 150 से ऊपर टीकाकरण केंद्रों को धीरे-धीरे बंद करने का काम केजरीवाल सरकार ने किया है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार उन्हें वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा रही है। दोहरी नीति पर सवार केजरीवाल सरकार दिल्ली की जनता को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं किया है।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केजरीवाल पूरी तरह से स्वास्थ्य विभाग को संभालने में नाकाम साबित हुए हैं। दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट को एक साजिश के तहत बंद किया गया। जनता को झूठी तस्सली देकर नांगली ऑक्सीजन प्लांट को बंद कर दिया। अगर यह प्लांट चालू रहता तो आज कई सौ लोगों को इसका लाभ मिलता तो कई लोगों की जान बच जाती। नांगली में 25 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले इस प्लांट को 20 अप्रैल से ही बंद कर दिया था। इससे लगभग 15 से अधिक छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम को मदद मिल रही थी। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश भाजपा मीडिया प्रमुख नवीन कुमार ने जब इस मामले को उजागर किया, तो 13 दिन बाद इसे खोलने की मंजूरी दी गई। आज दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी किल्लत होने के बावजूद इस ऑक्सीजन प्लांट को 25 मीट्रिक टन की जगह सिर्फ 2.5 मीट्रिक टन की ही मंजूरी दी है। इसी तरह नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भी केजरीवाल सरकार द्वारा ऑक्सीजन प्लांट को भी बंद कर दिया गया है और फिर ऑक्सीजन की कमी होने का नाटक जनता के सामने कर रहे हैं। इन ऑक्सीजन प्लांट से होम आइसोलेट हुए लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर सहायता मिल जाती थी, जिसे केजरीवाल सरकार ने बंद करा दिया।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली को ऑक्सीजन में कोटा बढ़ाया गया है। पहले 480 मीट्रिक टन था जिसे बढ़ाकर 730 मीट्रिक टन कर दिया गया, लेकिन केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन स्टोर ओर  वितरण कर टैंकर खाली ही नही कर पा रही है,जिससे पूरी ऑक्सीजन का खपत  नही हो रही। उन्होंने कहा कि एक पोर्टेबल वेंटीलेटर एक लाख रुपये का आता है और केजरीवाल के विज्ञापन का बजट 5 करोड़ रुपये हैं। केजरीवाल के सिर्फ विज्ञापन के पैसों से 50 हजार वेंटीलेटर आ सकते थे, लेकिन दिल्ली के सरकारी अस्पताल तो छोड़िए प्राइवेट अस्पतालों को मिलाकर भी सिर्फ 1153 वेंटिलेटर हैं।

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