क्या दिल्ली सरकार में पिछले 6 वर्षों में नया कॉलेज, स्कूल, सड़क, हाईवे बना: गुप्ता

नई दिल्ली:  दिल्ली सरकार अपनी संवेदनशीलता और मानवता को ताक पर रखकर नगर निगम को दबाने में जुट गई है और निगमों के बकाए फंड को देने में आनाकानी कर रही है। इस लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा किया और पूछा कि दिल्ली सरकार का 60,000 करोड़ रुपए का बजट है, मुख्यमंत्री केजरीवाल हिसाब दें कि बजट का पैसा अभी तक दिल्लीवासियों के हितों में कहां और कितना खर्च हुआ? क्या पिछले 6 वर्षों में एक भी नया कॉलेज, स्कूल, सड़क, हाईवे बनाया गया?

आदेश गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार को नगर निगम को जो 13500 करोड़ रुपए देने हैं, पूरे तथ्यों के साथ वह तीसरे और चैथे डीएफसी का पैसा है, और निगमों के लिए जो स्वीकृत राशि जो निगमों का हक है वह भी दिल्ली सरकार नहीं दे रही है। निगमों के लिए शीला दीक्षित सरकार के समय जो ग्लोबल शेयर 17.6 प्रतिशत का था, वह भी केजरीवाल सरकार ने घटाकर 12.5 प्रतिशत की घोषणा कर 10 प्रतिशत कर दिया और कोरोना संकट में उस 10 प्रतिशत से भी 57 प्रतिशत की कटौती की।
उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य का नगर निगम राज्य सरकार से जुड़ा होता और उनसे ही संवैधानिक बाध्यता होती है। डीएमसी एक्ट भी कहता है कि नगर निगम की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर दिल्ली सरकार को उनकी वित्तीय सहायता करना अनिवार्य है। यह दिल्ली सरकार की ही जिम्मेदारी है लेकिन वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। बजट का 60,000 करोड़ खर्च कहां हो रहा है असल में मुख्यमंत्री केजरीवाल के प्रचार-प्रसार के लिए खर्च हो रहा है। जिन निगम के कर्मचारियों के कामों का क्रेडिट मुख्यमंत्री केजरीवाल ले रहे हैं, उनके ही वेतन नहीं दे रहे हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था पर केंद्र सरकार खर्च करती, दिल्ली में मेट्रो, सड़क, हाईवे पर बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार खर्च करती है, दिल्ली विकास प्राधिकरण के सोसाइटी, पार्क, घरों पर सीधा खर्च केंद्र सरकार करती है, दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों पर केंद्र सरकार खर्च करती है, दिल्ली में विकास योजनाओं पर भी केंद्र सरकार खर्च करती है, यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और उनके तमाम मंत्रियों की सुरक्षा पर भी सारा पैसा केंद्र सरकार ही खर्च करती है, तो क्या दिल्ली सरकार सिर्फ राजस्व वसूलने के लिए है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष की भावना से दिल्ली सरकार जो काम कर रही है वह बहुत ही अनुचित है, यह दिल्ली की जनता और नगर निगम कर्मचारियों के साथ अन्याय है। दिल्ली सरकार से विनम्र निवेदन है कि राजनीति ना करें और कोरोना वॉरियर्स डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, डीबीसी वर्कर ने कोरोना काल के समय जान की परवाह किए बगैर ही दिल्लीवासियों की सेवा की, उन्हें प्रताड़ित न करें।
नगर निगमों को परेशान कर दिल्ली सरकार उन गरीब-जरूरतमंद लोगों को भी परेशान कर रही है जो निगमों के स्कूल, अस्पताल एवं अन्य विभागों पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्लीवासी इस बात से भी परेशान हैं कि उन्हें भारी भरकम बिजली बिल भेजे जा रहे हैं और लगभग 50,000 लोगों के अभी तक बिजली का मीटर नहीं लगा है, मीटर लगाने के लिए बिजली कंपनियां लोगों से लाखों की रिश्वत मांग रही है। इतना ही नहीं बिजली कंपनियां धमकी भी दे रही है कि अगर रिश्वत नहीं दी तो रिपोर्ट में यह लिखा जाएगा कि आपके घर की ऊंचाई 1-2 इंच ज्यादा है। उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बिजली कंपनियों को दिल्लीवासियों को लूटने की छूट दे रखी है? मुख्यमंत्री केजरीवाल बजट का 60 हजार करोड़ रूपया कहां डकार गए?

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