केजरीवाल सरकार की घोषणाएं लागू करने के लिए नहीं बल्कि घोटाले: आदेश गुप्ता

नई दिल्ली:  केजरीवाल सरकार द्वारा लगातार तीनों नगर निगम द्वारा बकाया फंड की मांग की उपेक्षा किए जाने के कारण नगर निगम कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि फंड न होने के कारण उनका वेतन रुका हुआ है। इस संदर्भ में आज दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित किया। प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार, विधायक व मुख्य प्रवक्ता अभय वर्मा एवं प्रवक्ता आदित्य झा उपस्थित थे।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बताया कि आज तीनों महापौर ने उपराज्यपाल से मिलकर यह अनुरोध किया कि वह जल्द से जल्द दिल्ली सरकार से नगर निगम का बकाया फंड 13000 करोड़ रुपए दिलवाए ताकि नगर निगम कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया जा सके और वह भी पर्व-त्यौहार को बेहतर ढंग से मना सके। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जहां एक ओर सभी दिल्लीवासी अपने घरों में रह कर कोरोना से खुद को सुरक्षित रख रहे थे वहीं दूसरी ओर निगम के सफाईकर्मी, डॉक्टर स्वास्थ्यकर्मी एवं अन्य निगम कर्मचारियों ने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर ही पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कार्य किया, लेकिन दिल्ली सरकार उनका वेतन देने में आनाकानी कर रही है। नगर निगमों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर यह दिल्ली सरकार का उत्तरदायित्व है कि वह निगम की वित्तीय सहायता करें लेकिन इसके उलट दिल्ली सरकार निगम कर्मियों से बदला ले रही है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि दिल्ली के लोगों और निगम कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीनों महापौर मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर के बाहर जमीन पर बैठे रहे लेकिन केजरीवाल ने मिलने का समय नहीं दिया। इससे तो यही जाहिर है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल में नैतिकता और शिष्टाचार की भी कमी हो गई है। वहीं रात में केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन आए और जैसे तैसे यह आश्वासन दिया कि दिल्ली सरकार निगम का बकाया पैसा जारी करेगी, उम्मीद है वह इस आश्वासन को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का 60,000 करोड़ रुपए का बजट है और अगर वह चाहे तो एक बार में निगम का बकाया पैसा दे सकती है लेकिन ऐसा करने की बजाय दिल्ली सरकार ओछी राजनीति कर रही है। दिल्ली सरकार जनहित की समस्याओं को भी चुनाव की दृष्टि से देखते हैं इसलिए 2022 में होने वाले नगर निगम के चुनाव के कारण दिल्ली सरकार नगर निगम को परेशान करने में जुटी है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी दिल्ली सरकार ने वेतन से वंचित रखा हुआ है, दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने डीटीसी बसों के प्राइवेट ऑपरेटर्स को भी पैसा नहीं दिया है, तो आखिर दिल्ली सरकार के बजट का 60,000 करोड़ कहां खर्च किया जा रहा है ?
आदेश गुप्ता ने कहा कि इन दिनों प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने हर चैक चैराहे पर प्लेकार्ड लेकर लोगों को खड़ा कर दिया है लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो वादे और दावे किए थे उसका अमलीकरण नहीं किया। न तो दिल्ली सरकार ने स्मॉग टावर लगवाया, न ई-बस लेकर आई, न पौधे लगाएं और पर्यावरण बजट का भी सिर्फ 6.8 प्रतिशत ही खर्च किया है। केजरीवाल सरकार की घोषणाएं जमीन पर लागू करने के लिए नहीं बल्कि घोटाले करने के लिए लाई जाती है। बिजली की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि दीपावली नजदीक है लेकिन दिल्ली के हर इलाके में 3-4 हजार घरों का बिजली कनेक्शन अभी भी नहीं लगा है, मीटर लगाने के लिए बिजली कंपनियां केजरीवाल सरकार के संरक्षण में लाखों की रिश्वत मांग रही है। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विभाग दिल्लीवासियों को परेशान कर रहे हैं लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल खुद की पीठ थपथपाते नहीं थक रहे हैं। वहीं नगर निगम जो गरीब-जरूरतमंद लोगों के लिए काम करती है, उसका पैसा रोककर दिल्ली सरकार प्रचार-प्रसार में खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों ने यह तक कह दिया है कि अगर वेतन नहीं मिला तो वह लोगों के घरों का कचरा मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों के घर पर जमा कर देंगे, अगर ऐसा होता है तो उसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री केजरीवाल ही होंगे। एक बार फिर से मुख्यमंत्री केजरीवाल से आग्रह है कि दिल्ली के लोगों के हितों में निगम के सफाईकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों एवं अन्य कर्मचारियों को वेतन देने के लिए निगमों का बकाया 13000 करोड़ रुपए और हाउस टैक्स का 10000 करोड़ रुपए की राशि अति शीघ्र ही जारी करें और अगर एक बार में यह राशि नहीं दे सकते हैं तो किस्तों में इस राशि को दें ताकि निगम के कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके।

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