निगमों की बकाया राशि देने के लिए केजरीवाल सरकार ने 10 दिन का मांगा समय
Date posted: 28 October 2020
नई दिल्ली: नगर निगम के बकाया फंड के लिए तीनों नगर निगम के महापौर सोमवार की सुबह से लेकर शाम तक मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने के लिए मुख्यमंत्री निवास के बाहर जमीन पर बैठे रहे, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें समय नहीं दिया। शाम को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन अपनी आवास की ओर लौटते समय मुख्यमंत्री आवास के बाहर तीनों महापौर से मिले और अपनी राजनीतिक भड़ास निकाली।
इस घटनाक्रम की जानकारी देते हुए आज उत्तरी नगर निगम महापौर जय प्रकाश, पूर्वी दिल्ली नगर निगम महापौर निर्मल जैन और दक्षिणी नगर निगम महापौर अनामिका मिथलेश सिंह ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार उपस्थित थे।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम महापौर जय प्रकाश ने बताया कि नगर निगम महापौर को दिल्ली का प्रथम नागरिक भी कहा जाता है, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए सुबह से शाम तक मुख्यमंत्री आवास के बाहर जमीन पर बैठे रहे लेकिन केजरीवाल नहीं मिले। यह बहुत ही शर्म की बात है कि 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की नुमाइंदगी करने वाले तीनों नगर निगम के महापौर से मुख्यमंत्री ने मिलना जरूरी नहीं समझा। उन्होंने बताया कि ढाई महीने पहले भी वह केजरीवाल से मिलने गए थे और उन्हें नगर निगम की आर्थिक स्थिति से अवगत कराया था और साथ ही एक रिपोर्ट बना कर दी थी जिसमें नगर निगम कर्मचारियों द्वारा कोरोना काल में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का विवरण था। उस समय केजरीवाल ने आश्वस्त किया था कि अगले 15 दिनों के अंदर ही वह निगम का पैसा जारी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया और उसके बाद से महापौरों का फोन उठाना भी केजरीवाल ने बंद कर दिया। कुछ दिनों पहले ही तीनों महापौर ने साझा पत्र के जरिए केजरीवाल से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसलिए सोमवार को तीनों महापौर भी जन सुनवाई के समय पर ही केजरीवाल से मिलने गए, लेकिन सुबह से शाम तक इंतजार करने के बाद भी केजरीवाल ने न तो हमें आवास के अंदर बुलाया और न ही शिष्टाचार व्यवहार किया।
जय प्रकाश ने कहा कि सुबह से शाम तक हम तीनों मुख्यमंत्री आवास के बाहर बैठे रहे और दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ट्वीट-ट्वीट खेल रहे थे। शाम को जब सामंतवादी सोच वाली केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र सिंह हेड मास्टर की तरह कुर्सी पर बैठे थे और महापौर जमीन पर। मंत्री सत्येंद्र जैन भी महापौर के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए, बल्कि अपनी राजनीतिक भड़ास निकालने लगे। मदद करने की बजाए सत्येंद्र जैन ने कहा कि आप लोग केंद्र सरकार के पास जाएं। निगमों के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को पैसे देती है और केजरीवाल सरकार ने भी माना कि उन पर नगर निगम का लगभग 12000 करोड़ रुपए का बकाया है। फिलहाल दिल्ली सरकार की ओर से हमें आश्वासन दिया गया है कि अगले 10 दिनों के अंदर निगम का बकाया पैसा जारी किया जाएगा। अगर दिल्ली सरकार अगले 10 दिनों के अंदर निगमों का बकाया पैसा जारी नहीं करती है और निगम कर्मचारियों को वेतन नहीं देती है, तो 11वें दिन फिर से तीनों निगम के महापौर मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठेंगे। केजरीवाल और उनकी सरकार ने जिस तरह का दुव्र्यवहार दिल्ली के प्रथम नागरिक महापौर के साथ कल किया है वो बेहद अपमानित करने वाला, निन्दनीय, भर्तस्ना योग्य, न बर्दाश्त करने वाला कृत्य है, इसके लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम महापौर निर्मल जैन ने कहा कि सुबह से लेकर रात तक तीनों महापौर मुख्यमंत्री आवास के बाहर जमीन पर बैठे रहे, लेकिन किसी ने बैठने के लिए कुर्सी तो दूर की बात है एक गिलास पानी तक नहीं पूछा। संवेदनहीन केजरीवाल सरकार की मंशा सिर्फ नगर निगम को पंगु बनाना है, इसलिए लगातार मिलने का समय मांगने के बाद भी केजरीवाल निगमों के महापौर से नहीं मिले। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की नगर निगम से राजनीतिक मतभेद हो सकता है, लेकिन नगर निगम कर्मचारियों ने केजरीवाल सरकार का क्या बिगाड़ा है? जिस संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं और सरकार चला रहे हैं उसी संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत ही तीनों नगर निगम अपने-अपने क्षेत्र में काम कर रही है। सफाई, सैनिटाइजेशन, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से बचाव, यह सभी कार्य नगर निगम ही कर रही है। नगर निगम प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़ रही है, स्प्रिंकलर, मैकेनिकल स्लीपिंग, पानी का छिड़काव प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसे तमाम कार्य जो नगर निगम लगातार कर रही है लेकिन केजरीवाल सरकार को नगर निगम की महत्वता समझ नहीं आ रही। 2020-21 बजट के अंतर्गत दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली के लिए 1677 करोड़ की राशि स्वीकृत की है, जिसमें से शेष 1257 करोड़ की राशि में से 301 करोड़ दिए गए हैं और अभी भी 956 करोड़ रुपए शेष हैं। निगमों की बकाया राशि देने के लिए केजरीवाल सरकार ने 10 दिन का समय मांगा है उम्मीद करते हैं कि वह अपनी बात पर अडिग रहेंगे।
दक्षिणी नगर निगम महापौर अनामिका मिथलेश सिंह ने एक ओर तो केजरीवाल कहते हैं कि वह दिल्लीवासियों के भाई हैं, बेटे हैं तो दूसरी ओर उनके दरवाजे पर बैठे भाईयों और बहन को भी उन्होंने पूछा तक नहीं। इतना तो शिष्टाचार केजरीवाल रखते कि उनके आवास के बाहर सुबह से लेकर शाम तक महिला होकर भी मैं बैठी रही, लेकिन खुद को महिलाओं का भाई बताने वाले केजरीवाल इस बहन से मिलने भी नहीं आए। उन्होंने कहा कि जब शाम को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मिलने आए तो उन्होंने बहुत ही रोष में बात की और जब हमने बकाया राशि की मांग की तो उन्होंने आंकड़े दिखाने को कहा लेकिन आंकड़ों देखे तक नहीं। जब नगर निगम फंड की मांग करती है तो दिल्ली सरकार नगर निगम की मांग करती है, दिल्ली सरकार को अपने मंत्री और विधायकों और नगर निगम के पार्षदों की तालिका बनाकर जरूर तुलना करनी चाहिए और देखना चाहिए कि किस पर क्या आरोप लगे हैं और कौन भ्रष्टाचारी है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के लिए सफाई के तहत 118 करोड़ रुपए आवंटित किया है, जिसका सिर्फ 75 प्रतिशत यानी 88 करोड़ रुपए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने मांगा, लेकिन दिल्ली सरकार ने कुछ भी नहीं दिया, वहीं शिक्षा के लिए आवंटित 501 करोड़ रुपए में से 375 करोड़ रुपए की मांग की गई, लेकिन दिल्ली सरकार ने सिर्फ 227 रुपए ही दिए जिसमें अभी 148 करोड़ रुपए शेष है। मिड डे मील के लिए 23 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं लेकिन 17 करोड़ रुपए मांगने पर भी दिल्ली सरकार ने सिर्फ 7 करोड़ रुपए ही दिए और 10 करोड़ अभी भी शेष हैं। स्वास्थ्य के लिए 65 करोड़ रुपए में से 48 करोड़ रुपए की मांग करने पर दिल्ली सरकार ने सिर्फ 28 करोड़ रुपए ही दिए और 20 करोड़ रुपए शेष है, वहीं बीटीए के लिए आवंटित 450 करोड़ रुपए में से दक्षिण दिल्ली नगर निगम में सिर्फ 337 करोड़ रुपए की मांग की, लेकिन दिल्ली सरकार ने 41 करोड़ रुपए ही दिए, और 296 करोड़ रुपए अभी भी शेष है। कुल मिलाकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के लिए स्वीकृत 1157 करोड़ रुपए में से 868 करोड़ रुपए की मांग करने पर दिल्ली सरकार ने 303 करोड़ रुपए ही दिए और 564 करोड़ रुपए देय है।
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