केजरीवाल सरकार द्वारा प्राइस कैपिंग ना करने की वजह से मरीजो को जमकर लूटा
Date posted: 24 May 2021
नई दिल्ली: दिल्ली में जिस तरह से पिछले 15 महीनों से आम जनता को लूटा जा रहा है वह सिर्फ केजरीवाल की देन है खुद को आम आदमी पार्टी कहने वाली केजरीवाल सरकार लूटने वाले और अपराधियों को संरक्षण देकर दिल्ली में लुटेरों का खेल खेल रही है। पूरी दिल्ली ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, एंबुलेंस और खुद की जान बचाने के लिए गुहार लगा रही थी लेकिन असफलता की रिकॉर्ड बनाने वाली केजरीवाल सरकार लोगों की मौत पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है।
एक मुख्यमंत्री और दिल्ली के सेवक होने के तौर पर अरविंद केजरीवाल को शर्म आनी चाहिए कि लोगों की जान जा रही थी, लोग लूट रहे थे और केजरीवाल अपना राजनीति चेहरा चमकाने में व्यस्त है। मतलब रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा है। केजरीवाल की इस कुप्रशासन और संकीर्ण मानसिकता वाली राजनीति ने पूरी दिल्ली को चीखने, चिल्लाने और मौत का मंजर देखने पर मजबूर कर दिया। प्रदेश कार्यालय में आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और भाजपा सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ऋचा पांडेय मिश्रा उपस्थित थी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि जून 2020 में जब कोरोना अपने पैर पसार रहा था, और निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के नाम पर मरीजों को लूटने की बात सामने आई तो उस वक्त केंद्र सरकार के हस्तक्षेप करने के बाद केजरीवाल सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें सभी अस्पतालों में बेड के रेट फिक्स कर दिए गए। उन्होंने कहा कि इस सर्कुलर में यह भी बताया गया कि साधारण आइसोलेशन बेड 8000 से 10,000 रुपये प्रतिदिन, आईसीयू बिना वेंटिलेटर के 13000 से 15000 रुपये प्रतिदिन और वेंटिलेटर के साथ 15000 से 18000 रुपये प्रतिदिन तय की गई। जबकि मरीजों को आईसीयू बेड के लिए एक से डेढ लाख रूपये प्रतिदिन देने पड़ रहे थे। श्री गुप्ता ने कहा कि आज अगर केजरीवाल सरकार खुद के गाइडलाइन को मानकर जनसेवा के उद्देश्य से काम किए होते तो दिल्ली की बेगुनाह जनता को अनाप-शनाप बिल नहीं देने पड़ते और लूटी नहीं जाती। इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं आयुष्मान भारत योजना को भी दिल्ली में लागू होने से केजरीवाल ने रोक दिया। आखिर इसके पीछे उनकी मंशा क्या थी इसका जवाब दें। आज अगर केजरीवाल आयुष्मान भारत योजना लागू करते तो कई मरीजों को वित्तीय सहायता मिलती और कितने लोगों की जान जो पैसों की कमी की वजह से चली गई वह बच जाती। इस महामारी में जिस सरकार को जनता की सहायता करनी चाहिए वही जनता को लूटने का काम करती रही। केजरीवाल आयुष्मान भारत योजना और प्राइस कैपिंग के सरकारी आर्डर क्यों नहीं लागू किये इसका जवाब देना पड़ेगा और साथ ही हमारी मांग है कि दिल्ली में जिन अस्पतालों ने कोरोना के नाम पर ज्यादा चार्ज किया उनकी प्राइस कैपिंग ऑडिट होनी चाहिए।
आदेश गुप्ता ने कहा कि लॉक डाउन का मतलब आम जनता की जेब पर पैसों की मार पर उसमें अगर कोरोना वायरस का आतंक चरम पर हो तो एक आम जनता की हालत बद से बदतर होना स्वाभाविक है। लेकिन दिल्ली में बैठी केजरीवाल सरकार को इससे ना कोई फर्क पड़ता है और ना ही आम जनता की दुख से कुछ नुकसान। क्योंकि लुटेरों की गैंग के सरगना केजरीवाल चारदीवारी के अंदर बैठकर चीखती चिल्लाती जनता को झूठी तसल्ली देने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों के मालिकों से केजरीवाल का सांठगांठ इस बात का सबूत है कि कोरोना के नाम पर 10 से 50 लाख का बिल आने के बाद भी उन अस्पतालों के मालिकों पर कोई कार्यवाई नहीं की गई। इसका साफ मतलब है कि बड़ी रकम में दिल्ली सरकार और उनके मंत्रियों की भी हिस्सेदारी है। इसी तरह के कई केस में दिल्ली की जनता को अस्पताल के लुटेरे गैंग का सामना करना पड़ा है। केजरीवाल सरकार से यह मांग है कि वह बेसिक खर्च के बाद कोरोना मरीजों से जितने अधिक पैसे अस्पतालों ने लिए हैं उन्हें तुरंत वापस दिया जाए अगर पैसे वापस नहीं किये जाते हैं प्रदेश भाजपा दिल्ली की जनता को साथ लेकर केजरीवाल सरकार के खिलाफ इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ेगी।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में आम जनता को दो समस्याओं का सामना करना पड़ा पहला कोरोना वायरस और दूसरा इस वायरस के नाम पर हो रही कालाबाजारी। कोरोना मरीजों की सहायता के लिए ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या न हो, केजरीवाल सरकार ने खास तौर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किये, लेकिन ये नोडल अधिकारी जनता के लिए नहीं बल्कि केजरीवाल के लिए काम करने लगे। जब अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, ऑक्सिमिटर, दवाइयों और अन्य उपकरणों की कालाबाजारी चल रही थी तो केजरीवाल द्वारा नियुक्त किये गए यही नोडल ऑफिसर सभी चीजों का हिसाब रख रहे थे कि किसको बेड देना है और कितने में। कई लोगों ने मनमानी पैसे वसूल करने और कोरोना के नाम पर लोगों को लुटे जाने की बात सामने आने के बाद भी केजरीवाल सरकार द्वारा किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई न करना इस बात का गवाह है कि अरविंद केजरीवाल की इन लुटेरे अस्पतालों के मालिकों से सांठ गांठ है और मुख्यमंत्री के ही सानिध्य में इन सभी काले कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी के कारण चरमराती व्यवस्थाओं को सुधारने के बजाए केजरीवाल सरकार का पूरा ध्यान ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर रहा जिसे दिल्लीवासियों ने देखा। श्री बिधूड़ी ने कहा कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की असल में कीमत 30 से 50 हजार तक है लेकिन इसे 1.5 लाख से लेकर 2 लाख प्रति कंस्ट्रेटर बेचा जा रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिल मात्र 350 से 400 रुपये में होते थे उसे अब 5000 से 30,000 रुपये तक रिफिल किये जा रहे हैं। मरीजों के परिजनों द्वारा नाम स्प्ष्ट रूप से बताने के बाद भी केजरीवाल ने उन अधिकारियों या अस्पतालों के ऊपर कार्रवाई क्यों नहीं की।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि कोविड काल में लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही है कि कई प्राइवेट एंबुलेंस चालक मनमाना पैसा वसूल कर रहे है। एम्बुलेंस चालको के कई ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें ये मरीजों से कई गुना ज्यादा पैसे की मांग कर रहे हैं। एम्बुलेंस चालक सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी के लिए 10 हजार रुपये की मांग करते हुए भी देखें गए। इतना ही नहीं 40 किलोमीटर के लिए 1 लाख 10 हजार रुपये तक भी मरीजों से वसूल की गई और इतना सब कुछ होने के बाद भी केजरीवाल सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी रही। पूर्वी दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल के बाहर एम्बुलेंस लिया शख्स (गुरुग्राम) गुरुग्राम जाने के लिए 50,000 रुपये की मांग करता है और जब बात बिल मांगने की आती है तो वह मना कर देता है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह जीटीवी अस्पताल के बाहर बैठा एम्बुलेंस चालक गुरुग्राम जाने के लिए छोटे एम्बुलेंस के लिए 22,000 तो बड़े के लिए 40,000 की मांग करता है और यह सब उस समय हो रहा है जब लॉक डाउन की मार और कोरोना की वजह से लोगों की जेबें खाली पड़ी है। दूसरी तरफ माननीय उच्चतम न्यायालय ने 11 सितंबर 2020 को ही सभी राज्यों को एम्बुलेंस के लिए कोविड मरीजों के लिए एक सुनिश्चित रेट तय करने का आदेश दे चुका है। बावजूद इसके केजरीवाल सरकार इतनी संवेदनहीन हो चुकी है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद भी अपनी मनमानी करती रही और जब कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने को आई तब जाकर 6 मई 2021 को एंबुलेंस वालों पर शिकंजा कसने का आदेश दिया। एम्बुलेंस वालों का आलम ये था कि वो चाहते थे कि अस्पताल के बाहर चाहे जैसी भी हलात हो, मरीज को उतारकर दूसरे मरीज से किराया वसूल किया जाए। श्री बिधूड़ी ने कहा कि इतना ही नहीं दिल्ली में एम्बुलेंस की इतनी मारा-मारी है कि कोरोना मरीज तो दूर शव को शमशान ले जाने के लिए 12 से 15 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। केजरीवाल सरकार बताये कि उन्होंने जिस जोर शोर के साथ बाइक एम्बुलेंस का उद्घाटन कर प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च किया था, आज उसकी एक झलक तक नहीं देखी जा रही है जबकि इस वक्त दिल्ली की जनता को सबसे ज्यादा जरूरत है। एक साल में केजरीवाल इस बात का भी जवाब दें कि उन्होंने कितने एम्बुलेंस खरीदे हैं। सरकार के पास जो एम्बुलेंस है वह कबाड़खाने में रखी हुई है।
भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार की लापरवाही ने कई हंसते खेलते घरों को तबाह कर दिया। कईयों ने अपनों को खोया तो किसी को बुढ़ापे का सहारा अकेला छोड़ गया, लेकिन इन सबके बीच सिर्फ एक इंसान बंद कमरों में बैठकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति रोटीयां सेंकता रहा और वह हैं अरविंद केजरीवाल। दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर मची लूट ने कई लोगों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया तो कई लोगों ने घर-जमीन बेचकर भी अपनों का इलाज कराया, लेकिन अफसोस इसके बाद भी उनको नहीं बचा सके। उन्होंने कहा कि अस्पतालों से अपने लोगों की लाश की भीख मांगते हुए भी देखा गया और यह सब अरविंद केजरीवाल के लुटेरे गैंग की देन है क्योंकि एक मरीज को अस्पताल में रखकर पैसों की एक बड़ी रकम वसूलने की आदत बन चुकी है। इतना ही नहीं हद तो उस तब हो गई जब अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को लोगों से उधार मांगने पड़े। यानी अपना घर बार जमीन जायदाद सब कुछ बेच देने के बाद भी परिजनों अपनों को खोया। इन्हीं सब को देखते हुए प्रदेश भाजपा आज दिल्ली की जनता को एक ईमेल आईडी पदवि/ामरतपूंसतमजनतदमÛबमेेइपसस. बवउ दे रही है जिसपर जनता अपने मोबाइल से कोरोना के इलाज में खर्च हुए पैसे का बिल स्कैन करके ईमेल करें जिसको हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को देंगे कि इन बिल को जांच कर खर्च का भुगतान करें। इसलिए केजरीवाल से हम मांग करते हैं कि दिल्ली में जिन लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई है उन सभी के परिजनों को खर्च के दौरान आया पूरा बिल वापस की जाए क्योंकि अपनों के खोने का गम और पैसों की दोहरी मार सहन नहीं हो पायेगा।
प्रदेश भाजपा ने केजरीवाल से पूछे पांच सवाल
केजरीवाल सरकार ने 20 जून 2020 के प्राइस कैपिंग के आर्डर को लागू क्यों नहीं किया?
केजरीवाल सरकार की सांठगांठ की वजह से अस्पतालों ने कोरोना मरीजों से अनाप-शनाप पैसे वसूले? मरीजों के पैसे वापस दें?
अस्पतालों में खुली लूट को ना रोक पाने में असमर्थ अधिकारियों पर केजरीवाल सरकार ने आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
केजरीवाल सरकार ने अपने ठीक नाक के नीचे कोरोना मरीजों से एंबुलेंस वालों की मनमानी लूट होने दी?
जिन परिवारों में कोरोना की वजह से मृत्यु हुई उनके पूरे बिल का पैसा वापस करें केजरीवाल सरकार कब तक पैसे वापस होंगे?
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