निगम पर आरोप साबित न होने पर केजरीवाल इस्तीफा के लिए तैयार रहें: भाजपा

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री आवास के बाहर निगम के तीनों मेयर और नेताओं का निगम का 13000 करोड़ रुपए का बकाया फंड जारी करने की मांग को लेकर धरना आज दसवें दिन भी जारी रहा। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, सांसद मीनाक्षी लेखी, सांसद हंसराज हंस और सांसद गौतम गंभीर ने धरना स्थल से पत्रकार सम्मेलन किया और केजरीवाल सरकार की द्वेषपूर्ण कार्यप्रणाली को उजागर किया। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर, प्रदेश कोषाध्यक्ष विष्णु मित्तल और प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार उपस्थित थे।

प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि आज दिल्ली के आम आदमी पार्टी के अंदर हताशा और निराशा है और इसी हताशा में उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम पर 2500 करोड़ रुपए के घोटाले का बेबुनियाद और हास्यपद आरोप लगा रही है। हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे रहे हैं कि सीबीआई या किसी भी स्वतंत्र एजेंसी से नगर निगमों पर लगाए गए आरोपों की जांच कराएं और अगर आरोप झूठे निकले तो मुख्यमंत्री अपना इस्तीफा देने को तैयार रहें। निगम नेता इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे निगम कर्मियों के हक के मांग के लिए मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठे हैं। भाजपा के लगातार चलाये अभियान ने दिल्ली की जनता के बीच यह स्थापित कर दिया है कि गत 6 वर्षों में केजरीवाल सरकार के संरक्षण में दिल्ली जल बोर्ड के राजनीतिक नेतृत्व एवं अधिकारियों ने मिलकर न सिर्फ जल बोर्ड की पूंजी बल्कि उसको मिले 50,000 करोड़ रुपए के ऋण के पैसे का भी घोटाला कर दिया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि दिल्ली की जनता भलिभांति जानती है कि दो संविधानिक निकायों उत्तरी एवं दक्षिणी नगर निगम के बीच किराये के बकाया के प्रस्ताव जिसमें एक भी पैसे का लेन-देन नहीं होना है उसमें कोई घोटाला हो ही नहीं सकता।
आदेश गुप्ता ने कहा कि 2012 में जब दिल्ली नगर निगम का तीन नगर निगमों में विभाजन हुआ उस समय पूर्वी और उत्तरी नगर निगमों को अपना मुख्यालय बनाने के लिये भवन मिला लेकिन दक्षिणी नगर निगम को कोई भवन नहीं मिला था। उस वक्त की दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने जल्दबाजी में निर्णय किया कि दक्षिणी नगर निगम भी उत्तरी नगर निगम के मुख्यालय परिसर से ही काम करेगा और उसकी एवेज में वाणिज्यिक मूल्य पर आधारित किराया उत्तरी नगर निगम को देगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली में अराजकता की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। जब से अरविन्द केजरीवाल सरकार सत्ता में आई है तो उसने नगर निगमों के संवैधानिक फंडों में लगातार कटौती की है। दिल्ली सरकार ने नगर निगमों के फंड पर चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को भी लागू नहीं किया है और कम करके 50 प्रतिशत तक ही फंड जारी करती है। इस वित्त वर्ष 2020-2021 में जिसके 9 माह पूर्ण हो चुके हैं दिल्ली सरकार ने अभी तक 25 प्रतिशत फंड ही तीनों नगर निगमों को जारी किया है। उन्होंने कहा कि निगम में नियुक्त दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने बजट के अंदर प्रावधान किया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम का देय पैसा शून्य किया जाए लेकिन निगम के स्थाई समिति ने उस प्रस्ताव को नामंजूर किया और इस बार भी ऐसा कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि कल एक दिन का विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है, लेकिन जरूरत के समय कोरोना से जूझ रही दिल्ली को बचाने के लिए केजरीवाल जी ने आज तक कोई विशेष सत्र नहीं बुलाया। यह साबित हो गया है कि केजरीवाल सरकार पर लग रहे नगर निगमों के संवैधानिक फंड रोकने एवं दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान भटकाने के लिए निगम पर निराधार आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली की जनता मुख्यमंत्री केजरीवाल की सच्चाई जान चुकी है और अब उनके झांसे में नहीं आने वाली है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल पर तंज कसते हुए सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिखा दी है इश्तहारों ने कुछ चेहरों की असलियत, जो टोपी पहन कर टोपी पहनाने का काम करते हैं। आम आदमी पार्टी ने निगम पर लगाए आरोपों के पोस्टर लगवा दिए हैं लेकिन कहीं भी अपना नाम नहीं डाला, क्योंकि उन्हें भी पता है कि ये आरोप गलत हैं और दिल्ली की जनता के साथ फरेब है और नाम लिखने पर झूठ बोलने के आरोप में आम आदमी पार्टी पर केस हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाजन से पहले एक ही निगम था और 2012 में विभाजन के बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पास अपना दफ्तर था, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भवन था और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास एक द्वारका में जमीन थी जिसपर कोई दफ्तर नहीं बना था। 16 मार्च 2012 को ही कैबिनेट में यह फैसला लिया गया कि जब तक दफ्तर नहीं बन जाता तब तक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भवन से ही दफ्तर चलाएगी। असली मुद्दा निगम का बकाया 13,000 करोड़ रुपए का है और मुद्दा भटकने के लिए 2500 करोड़ रुपए का घोटाला का बेबुनियाद आरोप निगम पर लगाया है। उन्होंने मनीष सिसोदिया को दिल्ली स्कूल के हालातों पर बहस करने की चुनौती दी।
सांसद हंसराज हंस ने कहा कि धरने में महारत हासिल करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल इन दिनों धरने से ही घबराए हुए हैं। पिछले 10 दिनों से निगम पार्षदें जिनमें महिलाएं भी हैं, खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं, ऐसे में थोड़ी सी इंसानियत मुख्यमंत्री को दिखानी चाहिए थी। मुख्यमंत्री पहले अपने गुरु अन्ना हजारे को धोखा दिया और अब दिल्ली की जनता के साथ धोखा कर रहे हैं।
सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री में इतनी सी भी शर्म नहीं है की उनके घर के बाहर 10 दिन से महिला पार्षदें भी बैठी हैं, वो आ कर या उन्हें बुला कर एक बार बात कर लें। जो मुख्यमंत्री अपने ही पार्टी की महिला नेता की इज्जत दांव पर लगा सकता है वह दिल्ली की महिलाओं की क्या इज्जत करेगा। कोरोना संकट में भाजपा ने आम आदमी पार्टी सरकार को मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया लेकिन यह भी उन्हें रास नहीं आई और कोविड सेंटर बिना खोले वापस कर दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रचार पर करोड़ों खर्च किए लेकिन न एक नया स्कूल, कॉलेज या अस्पताल बनवाया, और दिल्ली को वर्ल्ड क्लास शहर बनाने का प्रचार कर रहे हैं।

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