मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना से खुशहाल हो रहा श्रमिक परिवार

लखनऊ: प्रदेश सरकार के श्रम विभाग नेे उ0प्र0 भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत निर्माण कार्य में लगे श्रमिकांे के लिए मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना संचालित है। इसके तहत श्रमिकों के बच्चों को, पंजीकृत महिलां कर्मकारों एवं पुरूष कर्मकारों की पत्नियों को लाभान्वित किया जाता है। इस योजना के लिए वे सभी पा़त्र होते है जो बोर्ड में पंजीकृृत हों।
श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार योजनान्तर्गत 28 दिसम्बर,2018 से सितम्बर, 2020 तक 284018412 रूपये की धनराशि व्यय की गयी तथा 14411 लाभार्थी श्रमिकों को लाभान्वित किया गया। इसी प्रकार मातृत्व हितलाभ योजना मंे मार्च 2020 तक 787376738 रूपये की धनराशि व्यय कर 108581 लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया। शिशु हितलाभ ंयोजना में मार्च 2020 तक 1986947649 रूपये की धनराशि व्यय कर 177546 लाभार्थी लभान्वित किये गये। बालिका मदद योजना में इस अवधि में 310356005 रूपये की धनराशि व्यय कर 15242 लाभार्थियों को लाभ दिया गया।

योजनान्तर्गत बालिका मदद योजना का लाभ श्रमिक परिवार मंे जन्मी दो बलिकाओं को ही मिलेगा। कानूनी रूप से गोद ली गई बालिका को भी इस योजना का लाभ दिया जाता है। मातृत्व हित लाभ में श्रामिक पुरूष कामगार की पत्नी को एवं श्रमिक महिला कामगारों को प्रसव के दौरान 6 हजार रूपये एक मुश्त दिये जाते है। संस्थागत प्रसव कराने पर महिला कर्मकार निर्धारित न्यूनतम वेतन की दर से  तीन माह के वेतन के बराबर धनराशि पाती है। इसके साथ ही एक हजार रूपये की धनराशि भी चिकित्सा बोनस के रूप मंे दिया जाता हैै।

योजना के तहत महिला निर्माण श्रामिक को लड़का पैदा होने पर प्रति शिशु की दर से बीस हजार रूपये तथा लड़की पैदा होने पर पच्चीस हजार रूपये की धनराशि दी जाती है। श्रमिक परिवार में पहला शिशु लड़की होने पर जन्म के समय पच्चीस हजार रूपये बतौर सावधि जमा किया जाता है। दिव्यांग बलिकाओं के जन्म लेने पर 50,000 रूपये बतौर सावधि जमा किया जाता है।

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