वामपंथी उग्रवाद, नक्सलवाद भी देश के लिए बड़ा खतरा, आर टी आई से बड़े खुलासे
Date posted: 19 February 2019
नॉएडा – पुलवामा में हुए हमले के बाद देश उबल रहा है , कश्मीर में हो रही आतंकवादी घटनाओ के साथ साथ देश के भीतर होने वाले नक्सलवाद से देश को लगातार खतरा बना हुआ है , हर साल बहुत सी नक्सलवादी एवं वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं देश को भीतर से खा रही हैं। युवा समाजसेवी एवं अधिवक्ता रंजन तोमर द्वारा दोनों सरकारों के दौरान हुए हमलों , इस दौरान केंद्र की आज की सरकार का जनवरी तक का कार्यकाल और पिछली यूपीए सरकार 2010 से अप्रैल 2014 तक के कार्यकाल में हुए हमलों की तुलनात्मक जानकारी मांगी थी। इसके पीछे यह भी मंशा थी के इस तरह के उग्रवाद की घटनाएं बढ़ रही हैं या घट रही हैं इसकी जानकारी देश तक पहुंचाई जाए। जानकारी के अनुसार सन 2010 में 2213 घटनाएं हुई जिसमें 172 उग्रवादी मारे गए , जबकि इसमें कितने सुरक्षा बल घायल हुए उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है , सन 2011 में 1760 घटनाओं में 177 सुरक्षाबल घायल हो गए जबकि 99 उग्रवादी ढेर कर दिए गए , 2012 में 1415 घटनाओं में 189 सुरक्षाबल चोटिल हुए जबकि 74 उग्रवदिओं को मार दिआ गया , 2013 में 1136 घटनाओ में 170 जवान घायल हो गए जबकि 100 उग्रवादियों को मार दिआ गया , 2014 अप्रैल तक 429 ऐसी घटनाएं रिकॉर्ड की गई जिसमें 96 सुरक्षाबल चोटिल हुए एवं 30 उग्रवादियों को मार दिआ गया।
मई 2014 के बाद मोदी सरकार आने के बाद दिसंबर तक 662 घटनाएं हुई ,87 सैनिक चोटिल हुए एवं 33 उग्रवादी मार दिए गए , 2015 में 1089 घटनाओं में 159 सैनिक चोटिल हुए एवं 89 उग्रवादी मारे गए , 2016 में 1048 घटनाओं में 145 सिपाही चोटिल हुए जबकि 222 उग्रवादियों को मार गिराया गया , 2017 में 908 घटनाओं में 153 सुरक्षाबल चोटिल हुए एवं 136 उग्रवादी मारे गए , 2018 में 833 ऐसी घटनाओं में 152 सैनिक चोटग्रस्त हुए एवं 225 उग्रवादी मारे गए। जबकि 2019 में 31 जनवरी तक 74 घटनाएं अब तक रिकॉर्ड की गई हैं जिसमें 3 सैनिक चोटिल हुए एवं 10 उग्रवादियों को मौत के घात उतार दिआ गया।
2010 से 2014 अप्रैल तक 6953 घटनाओं में 632 सुरक्षाबल चोटिल हुए (जिसमें से 2010 में चोटिल सैनिकों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है ) एवं 475 उग्रवादी मार दिए गए , जबकि मई 2014 से जनवरी 2019 तक 4614 घटनाएं हुई जिसमें 699 सुरक्षाबल चोटिल हुए जबकि 715 उग्रवादियों को मार दिआ गया।
बड़ी बात यह है के इस जवाब पर 14 फरवरी को ही हस्ताक्षर किए गए जिस शाम पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ , हालाँकि इस पूरी आर टी आई के निरिक्षण से जानकारी मिलती है के पिछले कुछ वर्षों से उग्रवादियों पर सरकार सख्त है , क्यूंकि इस सरकार के कार्यकाल में पिछली सरकार से कम घटनाएं हुई एवं ज़्यादा उग्रवादियों को भी इस सरकार द्वारा मार दिआ गया , पर दुखद यह है के नक्सलवाद एवं उग्रवाद लगातार देश को परेशान कर रहा है एवं आतंकवाद के साथ साथ देश को कमज़ोर करने की कोशिश जारी है , जिसके खिलाफ हमें लड़ते रहना पड़ेगा। हमारे दुश्मन देश के बाहर ही नहीं भीतर भी मौजूद हैं।
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