समाजसेवी रंजन तोमर की आरटीआई से हुए कई बड़े खुलासे

नोएडा: शहर के समाजसेवी एवं आरटीआई कार्यकर्ता  रंजन तोमर द्वारा एनटीसीए ( राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) से मांगी गई जानकारी से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं , इस वर्ष अर्थात जनवरी से लेकर अगस्त 2020 तक कितने बाघों की मृत्यु हुई है , कहाँ और किस प्रकार हुई इस बाबत जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में प्राधिकरण कहता है के अबतक 71 बाघ इसी वर्ष देश से कम हो चुके हैं।  जिनमें जनवरी में 11 , फरवरी में  4 , मार्च में  4 , अप्रैल में 15  , मई में  12   , जून में    10  , जबकि जुलाई में  7   बाघ मृत्यु को प्राप्त हुए , जबकि अगस्त में   6  बाघ मरे जबकि जानकारी देने तक सितम्बर में भी एक बाघ मृत्यु को प्राप्त हुआ।  

ज़्यादातर बाघों की मृत्यु का कारण अभी नहीं जांच पाई एजेंसियां 

प्राधिकरण की स्वयं की घोषणा के अनुसार 71 में से  तकरीबन साठ बाघों की मृत्यु का कारण अभी जांच के दायरे में हैं किन्तु अभी स्पष्ट नहीं हुआ है , जबकि 8 की प्राकृतिक मृत्यु हुई है और 3 का शिकार हुआ है , ऐसे में कई सवाल पैदा हो रहे हैं , पर्यावरणविद कहते हैं के एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने एवं सरकार एवं मंत्रियों के सामने अच्छे आंकड़े रखने की इच्छा के कारण शिकार के आंकड़ों को कमतर दिखाते हैं , एवं जांच के दायरे में आने वाले बहुत से  केसों में शिकार ही मृत्यु का कारण होता है।  इस बाबत यह जानकारी बेहद चौंकाने वाली है एवं मंत्रालय को इसपर सख्त निर्णय लेने होंगे ताकि जांच जल्द से जल्द पूरी की जाएँ और शिकारियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।  
 

टाइगर रिज़र्व में मरे ज़्यादा बाघ , बाहर कम 

जानकारी के अनुसार टाइगर रिज़र्व में 49 बाघों की मृत्यु हुई है जबकि बाहर 22 बाघों की मृत्यु अंकित की गई , ऐसे में सवाल यह भी उठता है के हमारे टाइगर रिज़र्व में भी यदि बाघ खुले में विचरण नहीं कर सकते तो फिर कहाँ कर सकते हैं ?  
 
गौरतलब है के रंजन तोमर लगातार बाघों ,हाथियों , राइनो , गंगा डॉलफिन आदि देश की प्रजातियों के प्रति लड़ाई लड़ते आये हैं ,ऐसे में इस वर्ष के यह आंकड़े जहाँ शिकार कम  की ख़ुशी ज़रूर देते हैं ,वहीँ जांच के दायरे में आने वाले बाघों की बड़ी संख्या चिंता का विषय भी उत्पन्न करती है , राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार , कड़े कदम सभी को उठाने होंगे।  

Facebook Comments