निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार के लिए विपणन की रणनीतियों पर हुआ मंथन
Date posted: 7 October 2021
लखनऊः आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन आज निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार व विपणन की व्यवस्था एवं रणनीतियों के बारे में व्यापक रूप से चर्चा की गयी। आवासन एवं शहरी विकास कार्य मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर प्रदेश नगर विकास के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों ने विस्तार से सुझाव भी दिये।
एडीशनल सेकेट्री आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय सुरेन्द्र कुमार बागडे की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में आई0आई0टी0 मद्रास के प्रोफेसर मेहर प्रसाद, आई0आई0टी0 खड़गपुर के प्रो0 सुब्रता चटोपाध्याय, आई0आई0टी0 रूड़की के प्रोफेसर पी0सी0 आश्विन, सी0बी0आर0आई0 रूड़की के डॉ0 अजय चौरसिया, डायरेक्टर जनरल सी0पी0 डब्ल्यू0डी0, शेलेन्द्र शर्मा, जी0आई0जेड के प्रतिनिधि विकास रंजन, एस0पी0ए0 नई दिल्ली के प्रो0 मनोज माथुर आदि ने अपने-अपने अनुभवों को साझा किये।
इस अवसर पर सुरेन्द्र कुमार बागडे ने कहा कि निर्माण के सम्बंध में नई टेक्नालाजी को आज उपभोक्ता से जोड़ने की जरूरत है और इस सम्बंध में आने वाली बाधाओं को रोकने के सार्थक व सकारात्मक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। निर्माण सामग्री में नियमों, विनियमों, गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने के बारे में उपभोक्ताओं की जानकारी दिये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए वर्कशाप रिजनल लेवल पर होनी चाहिए और इसमें निर्माण एजेन्सियों व विभिन्न कम्पनियों को चिन्हित कर उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
महानिदेशक केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि किसी भी टेक्नालाजी के इस्तेमाल से पहले उसकी प्रमाणिकता होनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए उससे आम उपभोक्ता संतुष्ट हो। खड़गपुर आई0आई0टी0 के प्रो0 सुब्रता चटोपाध्याय ने कहा कि टेक्नालाजी प्रोवाइडर को इस तरह से उसका प्रस्तुतीकरण करने की आवश्यकता है, जो उपभोक्ता को प्रभावित कर सके। जी0आई0 जेड के प्रतिनिधि विकास रंजन ने कहा कि इण्डस्ट्रियलिस्ट और सरकार को नई तकनीकी की मार्केटिंग का नया तरीका भी होना चाहिए इसके लिए ऐसा प्लेटफार्म मिले जिसमें टेक्नोक्रेट, कम्पनियों व सरकार का तालमेल हो। सी0बी0आर0आई0रूड़की के डॉ0 अजय चौरसिया ने कहा कि प्रोडक्ट उत्पाद के इस्तेमाल का ऐसा तरीका अपनाया जाना चाहिए जो साधारण आदमी की समझ में आसानी से आ जाय।
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