11 करोड़ मजदूरों को काम देकर कोरोना में बेरोजगारों का सहारा बनी मनरेगा

पटना:  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आज कहा कि कांग्रेस काल में जो मनरेगा भ्रष्टाचार की जननी बन गयी थी, कोरोनाकाल में आज वही योजना मोदी सरकार की मेहनत और दूरदर्शिता से करोड़ों मजदूरों के लिए वरदान बनी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में 11.17 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत काम मिला. खास बात यह है कि 2006-07 में शुरुआत होने के बाद पहली बार इस योजना ने एक साल में यह आंकड़ा पार किया है.

उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत मई 2019 से मई 2021 के बीच 700.6 करोड़ श्रमिक दिवस सृजित हुए हैं और 165.81 लाख कार्य पूर्ण हुए हैं. इन सारे कार्यों में तकरीबन 1,97,505 करोड़ रुपये खर्च हुए हैंजिसमें से 65% कृषि संबंधित कार्यों में व्यय किए गए हैं. इसके अलावा इस योजना के तहत 2.58 करोड़ नये जॉब कार्डों भी जारी किये गये हैं.

श्री रंजन ने कहा कि कांग्रेस ने इस योजना का फोकस सिर्फ लोगों को भरमाने के लिए किया था. उस समय मजदूरी देने की भी कोई ठोस प्रक्रिया नहीं थी. जिसके कारण इससे जुडी शिकायतों का अंबार लगा रहता था. मजदूरों को मजदूरी देने में अनियमितता की खबरें बार-बार आती रहती थी. लेकिन मोदी सरकार ने डीबीटी का प्रयोग कर पूरे सूरतेहाल को बदल दिया. यही वजह है कि आज संकटकाल में यह योजना बेरोजगारों का सहारा बन कर उभरी है. आज लोगों को सरकार द्वारा भेजे गये 100 पैसों में से पूरे सौ पैसे मिलते हैं. किसी भी गरीब का हक मारा नहीं जाता.

सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर आर्थिक पैकेज में सरकार की तरफ से मनरेगा के लिए अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रूपये के फंड का ऐलान किया गया. साथ ही केंद्रीय बजट 2020-21 में 61 हजार 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. मार्च 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का ऐलान कियाजिसमें ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत मजदूरी करने वालों की दिहाड़ी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई. सरकार के यह कदम गरीबों-मजदूरों के कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धिता का जीवंत प्रमाण हैं.

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