उपकेंद्रों की निगरानी करें इंजीनियर, उपभोक्ता मेरा देवता है: श्रीकान्त शर्मा

लखनऊः  ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि उपभोक्ता सेवाओं से समझौता करने वाले, उपभोक्ताओं से छल करने वाले सब उनके रडार पर हैं। कोई कितना भी बड़ा हो बचेगा नहीं, सबकी जवाबदेही तय होगी। पावर कारपोरेशन में उपभोक्ता ही सब कुछ है। इस बात का ध्यान सबको होना चाहिए। उनके हितों से खिलवाड़ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा।
ऊर्जा मंत्री आज उ0प्र0 पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित विद्युत व्यवस्था में सुधार के उपाय विषयक सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सरकार उपभोक्ता हितैषी सरकार है, उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें, यही हमारी मंशा है, यही सबकी होनी चाहिए। सरकार का रोजाना के कामकाज पर कोई हस्तक्षेप नहीं है, मतलब है तो केवल उपभोक्ता को बेहतर सेवा से। इस बात को सबको गंभीरता से लेना होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्ता देवो भवः की नीति पर चल रही है। विभाग भी ऐसे ही चलेगा, कारपोरेशन को भी इसी नीति के हिसाब से चलना होगा। अभियंताओं के पास सघन निगरानी का दायित्व है, तो उसे ठीक से निभाएं। अभियंता उपभोक्ताओं के हितों के रक्षक हैं, उपकेंद्र के चैकीदार हैं। उन्हें एक-एक चीज का हिसाब रखना होगा। उनकी पहली और अंतिम जिम्मेदारी उपभोक्ता की संतुष्टि ही है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग 90 हजार करोड़ के घाटे में है। आज जरूरत है तो इसे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की। विभाग आर्थिक रूप से स्वावलंबी होगा तो सबसे ज्यादा लाभ उपभोक्ताओं और विभाग को ही मिलेगा। ऊर्जा मंत्री भी उपभोक्ता है, उपभोक्ताओं का मंत्री है। इसलिए उसकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर उपभोक्ता ही है।

उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर के मामले में भी उपभोक्ता सेवाओं को ध्यान में रखते हुए इस नई सुविधा को शुरू किया गया। मंशा यह थी कि सबको समय पर सही बिल मिले, उपभोक्ताओं को सहूलियत हो। इसकी शुरुआत हमने अपनी विधानसभा से की, ताकि कोई खामी हो तो उसकी जानकारी हो जाये। गलतियां मिली हमने चेताया भी, जब पानी सिर से ऊपर निकल गया तो हमने ही इसे बंद कराया। इस हिदायत के साथ कि यह कवायद तभी शुरू होगी जब सब ठीक हो जाये, उपभोक्ता पूरी तरह संतुष्ट हो जाये।

कार्यक्रम के अंत में अभियंताओं ने घाटे को लेकर हुई लापरवाहियों पर माफी भी मांगी और शपथ ली कि उपभोक्ता सेवाओं में सुधार के साथ, अपने आचरण और व्यवहार को ठीक रखते हुए विभाग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सतत प्रयास करेंगे।

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