यूपी के नेताओं के लिए अशुभ रही एमपी की गवर्नरी!
Date posted: 21 July 2020
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यूपी से जिस राजनेता को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। उसका लिए यह कुर्सी अशुभ ही साबित हुई। लालजी टंडन तीसरे ऐसे राजनेता रहे जिनका मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहते हुए निधन हो गया। इसके पहले रामप्रकाश गुप्ता और रामनरेश यादव भी मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे और जिनका निधन उनके इस पद पर रहते हुए ही हुआ।
लालजी टंडन
यूपी की राजनीति में भाजपा को उंचाईयों तक पहुंचाने वाले नेताओं में से एक लालजी टंडन का लम्बा राजनीतिक करियर रहा। 50 साल पहले सभासद से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर मध्यप्रदेश के राज्यपाल होने तक जारी रहा। एक समय उनका नाम यूपी के मुख्यमंत्री बनाने तक चला। उन्होंने नगर विकास मंत्री के पद पर रहते पूरे प्रदेश को विकास की उंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया। यही नहीं, आज जो आधुनिक लखनऊ दिखाई पड़ रहा है।
भाजपा बसपा की साझा सरकार बनने पर लालजी टंडन की बड़ी भूमिका रही। वह दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद तथा तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे। इसके अलावा यूपी में पहली बार भाजपा सरकार बनने पर उन्हे वित्तमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।
साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में उन्होंने यह सीट बेहद आसानी से जीत ली। लालजी टंडन 23 अगस्त 2018 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद उन्हे 20 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था।
राम प्रकाश गुप्ता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामप्रकाश गुप्ता 1946 में आरएसएस के प्रचारक बने। इसके बाद. 1948 में संघ पर से प्रतिबंध हटाने के लिए सत्याग्रह किया। जनसंघ के बनने के बाद वह 1956 में इस दल के संगठन मंत्री बनाए गए। यूपी के लखनऊ समेत 10 जिलों का काम इनको दिया गया। 1960 में लखनऊ नगरपालिका में जनसंघ के नेता के रूप में पहुंचे। 1964 में इसी में डिप्टी मेयर बने। 1964 में ही यूपी विधान परिषद में चुन लिए गए।
इसी बीच 1967 में चैधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री रहे। फिर उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। फिर 1973-73 में भारतीय जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष बने वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं जब चैधरी चरण सिंह ने १९६७ में गैर कांग्रेस दलों को एकीकृत करके सरकार बनायीं थी। वे १९७७ जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री रहे चुके हैं। 12 नवम्बर, 1999 से 28 अक्टूबर, 2000 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह 7 मई, 2003 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए थे। अभी एक साल ही ही हुआ था कि एक मई, 2004 को उनका निधन हो गया।
रामनरेश यादव
रामनरेश यादव आजमगढ़ जिले के फूलपुर तहसील के आंधीपुर गाँव के निवासी थे। वह 1977 में जनता पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और लगभग दो साल तक यूपी के सीएम पद रहे थे। इसके बाद आठ सितंबर, 2011 को वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने और आठ सितंबर, 2016 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था। रामनरेश यादव का जन्म एक जुलाई 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के आंधीपुर(अम्बारी) गांव में एक साधारण किसान गया प्रसाद परिवार और भगवन्ती देवी के घर में हुआ था। पिता गया प्रसाद महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ॰ राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे।
स्वर्गीय राम नरेश यादव को देशभक्ति, ईमानदारी और सादगी की शिक्षा अपने पिता से ही विरासत में मिली थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वर्गीय राम नरेश यादव को लोग बाबूजी के नाम से भी बुलाते थे। रामनरेश यादव का विवाह साल 1949 में अंबेडकर नगर के करमिसिरपुर (मालीपुर) गांव में अनारी देवी ऊर्फ शांति देवी के साथ हुआ था।
यादव ने छात्र जीवन से समाजवादी आन्दोलन में शामिल होकर अपने राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरूआत की। चैधरी चरण सिंह के बुलाने पर 1977 के जनता पार्टी की सरकार में आए और 23 जून 1977 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। रामनरेश यादव ने 8 सितम्बर 2011 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद बनने के बाद वह 7 सितम्बर 2016 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे। हांलाकि जिस समय उनका निधन हुआ उस समय वह राज्यपाल का कार्यकाल खत्म हो चुका था लेकिन अगले तब तक उनके पास कार्यवाहक राज्यपाल की जिम्मेदारी थीं।
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