2017 से 384 बाघ खो चुका है भारत: आरटीआई

नोएडा: शहर के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा हाल ही में इस वर्ष अर्थात 2020 में 71 बाघों की मृत्यु सम्बन्धी जानकारी से देश भर  में सनसनी मच गई थी , इसी कड़ी में समाजसेवी रंजन तोमर ने अगली आरटीआई में प्राधिकरण से पिछले लगभग साढ़े तीन साल की जानकारी मांगी गई , जिससे और भी दुखद जानकारियां सामने आई हैं  दुनिया में बाघों के मामले में जहाँ भारत बेहद अच्छी स्तिथि में है, फिर भी राष्ट्रिय पशु का दर्ज़ा प्राप्त इस जानवर की लगातार हो रही मृत्यु सवालों के घेरे में है , राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार, सही आंकड़े न पेश कर पाने के आरोप भी पर्यावरण प्रेमियों द्वारा लगाए जा रहे हैं , जहाँ इस वर्ष बाघों की मृत्यु संख्या 71 थी और उसमें से 60 की मृत्यु का कारण प्राधिकरण अबतक नहीं लगा पाया था ,ऐसे में पिछले तीन और वर्षों की जानकारी के अनुसार अबतक देश 384 बाघ खो चुका है।

जानकारी के अनुसार 2017 में जहाँ 117 बाघों की मृत्यु हुई जिनमें से 63 टाइगर रिज़र्व के भीतर एवं 54 रिज़र्वों के बाहर हुई , 2018 में यह आंकड़ा 101 रहा जिसमें 49 रिज़र्व के भीतर एवं 51 बाहर हुई , 2019 के आंकड़ों के अनुसार 95 मौतें हुई जिनमें से 58 रिज़र्वों के भीतर हुई एवं 37 बाहर हुई। 2020 के आंकड़े इससे पहले मिल चुके हैं जिनमें 71 बाघों की मृत्यु सितम्बर तक हुई जिनमें से 49 भीतर एवं 22 बाघों की मृत्यु रिजर्वों के बाहर हुई है।

दुखद है शिकार का आंकड़ा

यदि इन आंकड़ों में शिकार के आंकड़े अलग किये जाएं तो उनमें एक दुखद बात सामने आती है के अब भी बाघों का शिकार जारी है , जहाँ सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2017 में 44 बाघों का शिकार हुआ , 2018 में चालीस एवं 2019 में 24 , जबकि 2020 में अबतक 3 बाघों का शिकार सरकार ने माना है , गौरतलब यह है के 2019 और 20 में यह आंकड़ा कम इसलिए भी है क्यूंकि अभी ज़्यादातर केस जांच के दायरे में हैं और इनका बढ़ना तय है।
केंद्र एवं राज्य सरकारों को चाहिए के वह जल्द से जल्द कड़े कानून बनाएं , बाघों के रिजर्वों में नयी तैनातियां करवाई जाएँ जैसा की काज़ीरंगा राष्ट्रिय उद्यान में हाल ही में किआ गया , ज़्यादा सुरक्षा से ज़्यादा बचाव निश्चित है।

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