एनडीए अटूट, महागठबंधन में फूट: राजीव रंजन

पटना: एनडीए की एकता को अटल बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा “ सत्ता पाने के महागठबंधन के नेता इतने बेचैन हो चुके हैं अब उन्हें एनडीए गठबंधन के घटक दलों में होने वाली सामान्य बात-चीत और बिहार के भले के लिए एक दुसरे को दी जाने वाली सलाह भी मनमुटाव के तौर पर दिखती  है, जबकि खुद उनके अपने घर में बवाल मचा हुआ है. एनडीए जहां चट्टान की तरह अटूट है वहीं इनके नेता और कार्यकर्ता हर दिन थोक के भाव में पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं. इनकी स्थिति देख कर यह तय है आगामी चुनाव में एनडीए 2010 का रिकॉर्ड तोड़ तीन चौथाई से भी ज्यादा सीटों के साथ अपनी विजय पताका लहराने वाला है.”
उन्होंने कहा “ लोग जानते हैं कि एक तरफ जहां एनडीए बिहार की बेहतरी की एक जैसी सोच रखने वाले दलों के परिवार की तरह है, वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन वंशवाद और भ्रष्टाचार को राजनीति मानने वाले अवसरवादी दलों का जमावड़ा भर है, जिनका उद्देश्य किसी भी कीमत पर सिर्फ सत्ता प्राप्त करना है. एनडीए में जहां सीएम का चेहरा तक तय है वहीं महागठबंधन में इनके गठबंधन का नेता तक तय नहीं है. इनके यहाँ हर दूसरा नेता खुद को महागठबंधन का बॉस समझता है. इसी वजह से साथ रहने के बाद भी यह आपसी भीतरघात से बाज नही आते. जो दल सामान्य मुद्दों पर भी आपसी एकता नही बना पा रहे हैं, आगामी चुनाव 2020 में क्या ख़ाक साथ लड़ेंगे. दरअसल यह सभी दल बिहार में अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और इसी वजह से तात्कालिक तौर पर एक दुसरे के साथ हैं. इनका एक ही उद्देश्य है कि साम, दाम, दंड, भेद यानी किसी तरह से सत्ता पायी जाए और बाद में उसका जम कर लाभ उठाया जाए.”

विपक्ष पर निशाना साधते हुए श्री रंजन ने कहा “ महागठबंधन के नेता जितनी भी अफवाह उड़ा लें लोगों का विश्वास एनडीए सरकार के प्रति और अधिक मजबूत हो गया है. वहीं महामिलावटी दलों के लगातार झूठ बोलने  और नकारात्मक राजनीति से लोग पूरी तरह ऊब चुके हैं. लोगों जानते हैं कि केंद्र और बिहार की एनडीए सरकारों के लिए जहां ‘सबका साथ सबका विकास’ महत्वपूर्ण है, वहीं यह महामिलावटी दल ‘परिवार का साथ, परिवार का विकास’ से आगे देख ही नही सकते. लोगों के अनुसार हार स्पष्ट देख कर उनके बचे-खुचे समर्थकों का मनोबल भी टुटा हुआ है, जिससे इनका वोट एक दुसरे को ट्रांसफर होना नामुमकिन हो चुका है.”

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