‘सहकार से समृद्धि’ के स्वप्न को साकार करेगा नया सहकारिता मंत्रालय: राजीव रंजन

पटना: केंद्र सरकार द्वारा सहकारिता मंत्रालय के गठन को ऐतिहासिक बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने इसे आत्मनिर्भर भारत की तरफ उठा एक मजबूत कदम बताया. उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में समाजवाद और पूंजीवाद अर्थव्यवस्था के सबसे प्रचलित मॉडल है. लेकिन सहकारिता के जरिये देश और दुनिया ने इन धारणाओं से अलग विकास का एक नया रास्ता देखा है.

विकास के इस मॉडल में न सरकार और न उद्योगपति फैसला लेते हैं, बल्कि सहकारिता से जुड़े आम लोग ही सारे महत्वपूर्ण फैसले करते हुए विकास के रथ को आगे बढ़ाने का काम करते हैं. भारत जैसे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता का मॉडल सबसे अधिक सटीक है, जिसके जरिये गांव-गांव में खुशहाली लायी जा सकती है. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस मॉडल को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए इस नये मंत्रालय का गठन किया है.

श्री रंजन ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए अलग प्रशासनिक, कानूनी, नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराने के साथ-साथ यह मंत्रालय सहकारिता के लिए कारोबार को भी आसान बनायेगा. नए मंत्रालय के माध्यम से सहकारी समितियों का जमीनी स्तर तक विस्तार हो सकेगा. एक सच्चे जन आधारित आंदोलन को विस्तार देने में भी मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि हकीकत में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की मूल धारणा सहकारिता में ही निहित है जो हमारे देश के स्वभाव में समाहित है. यह उधार में ली गई व्यवस्था नहीं है. यह देश के चिंतन, स्वभाव और व्यवहार के अनुरूप व्यवस्था है. ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिये सहकारिता मंत्रालय बहुत बड़ा योगदान  कर सकता है.

उन्होंने कहा कि सहकारिता के जरिए विकास का सबसे सर्वोतम उदहारण अमूल है, जिसने देश में दुग्ध प्रसंस्करण के जरिए श्वेत क्रांति का आगाज किया था. अमूल सिर्फ दूध प्रोसेसिंग की प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह एक ग्रामीण तबके को सशक्त करने वाले एक वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का सबसे बेहतरीन मॉडल भी है. इसके अलावा मधुमक्खी पालन जैसे कई क्षेत्र हैं जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. आज सरकार जन धन, वन धन और गोबर धन पर ध्यान दे रही है, इसमें भी सहकारी समितियों की अग्रणी भूमिका हैं. कुल मिलाकर यह मंत्रालय ‘सहकार से समृद्धि’ के स्वप्न को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने वाला है.

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