परमहंस स्वामी योगानंद ने देश के साथ ही विदेशों में भी धर्म एवं योग की दीक्षा दी

गोरखपुर: परमहंस स्वामी योगानंद की 129वी जयंती पर भूमा शाँति मिशन, भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर  व डॉ.अशैक श्रीवास्तव फैंस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में ध्यान पूजा अर्चना के बाद एक काव्यगोष्ठी का भी आयोजन डी.पी.हाउस , सिविल लाइंस, गोरखपुर में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वयोबृद्ध समाजसेवी दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव थे एवं जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि व शायर अरुण कुमार श्रीवास्तव उर्फ ब्रम्हचारी ने व संचालन सत्य नारायण’पथिक’ने किया। सर्वप्रथम परमहंस योगानंद जी के जीवन के ऊपर मुख्य अतिथि एवं अरुण कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रकाश डाला गया और बताया गया कि गोरखपुर की वह एक अद्वितीय हस्ती थे और देश के साथ ही विदेशों में भी उन्होंने धर्म एवं योग की दीक्षा दी तथा
 प्रचार व प्रसार किया।कार्यक्रम का शुभारंभ भाई राम सुधार सिंह सैंथवार जी की वाणी वंदना से हुआ। तत्पश्चात  नववर्ष पर सबको युवा कवि कुंदन वर्मा’पूरब’ ने बधाई देते हुए कहा – नूतन वर्ष करुं विनती तकदीर सबकी चमका देना । सुंदर सुमन सजा करके सबकी बगिया महका देना।।  वरिष्ठ शायर डा.बहार गोरखपुरी  ने जिंदगी को यूं बयां किया शेरों में- बेकसी में  अकेली मिली मोड़ पर, हाथ मलती हुयी जिंदगी मोड़ पर। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अरुण कुमार श्रीवास्तव उर्फ ब्रम्हचारी जी ने स्वामी योगानंद जी की जयंती पर सबको शुभकामनाएं देते हुए ,आज के हालात पर शेर कहा – कहते हो हमको मुलजिम क्या दोष है हमारा। हम पर ही कत्ल का तुम इल्जाम मढ़ दो सारा।।
अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है बद्रीनाथ विश्वकर्मा, कौसर गोरखपुरी,राम समुझ सांवरा, महमूद गोरखपुरी, सत्य नारायण’पथिक’ आदि। श्रोताओं में इं.रंजीत कुमार,अनिल मिश्रा,दिलीप जायसवाल, मुकेश सिंह,अजय कुमार,दानिश खान, मंजीत श्रीवास्तव आदि। सबके प्रति आभार व्यक्त किया अरुण ब्रम्हचारी ने एवं अंत मे गोरखपुर के वरिष्ठ कवि नरसिंह बहादुर चंद जी के असामयिक निधन पर शोक ब्यक्त करते हुये दो मिनट के मौन के बाद मुख्य अतिथि द्वारा आशीष वचन व कार्यक्रम का समापन किया गया।

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