पुलिस, जेल, स्वास्थ्य एवं राजस्व विभाग द्वारा हो रहा मानवाधिकारों का उल्लंघन
Date posted: 11 November 2020
लखनऊ: उ0प्र0 राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति के0पी0 सिंह एवं सदस्य ओ0पी0 दीक्षित ने कहा कि प्रदेश में मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग कृतसंकल्पित है। प्रदेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बढ़ते हुए मामलों के कारण पुलिस, जेल, स्वास्थ्य एवं राजस्व विभाग को मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए खासतौर पर निर्देश दिये गये हैं। आयोग के सदस्यों द्वारा आज विभूतिखण्ड स्थित कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए आयोग के क्रियाकलापों की जानकारी मीडिया को दी।
इस दौरान आयोग के सदस्य ओ0पी0 दीक्षित ने बताया कि मानवाधिकार आयोग द्वारा विगत एक वर्ष में 24,285 केस का निर्णय किया गया है। अभी भी नये एवं पुराने केस को मिलाकर 97,887 वादों का निर्णय होना बाकी है। इसी प्रकार आयोग के चेयरमैन के सेवानिवृत्त हो जाने से उनकी बेंच के 38,996 वाद का फैसला होना बाकी था। अभी भी नये/पुराने मामलों को मिलाकर 39,189 केस विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए आयोग स्वतंत्र रूप से राज्य सरकार को निर्देश जारी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार संरक्षण कानून-1993 के तहत प्रत्येक मानव को जीवन, स्वतंत्रता, समानता तथा सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार है। आयोग के सदस्य दीक्षित ने बताया कि आयोग को किसी वाद की जांच के लिए सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं। इसी प्रकार अन्वेषण के लिए राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की सहमति से किसी भी अधिकारी एवं अन्वेषण अभिकरण की मदद ली जा सकती है।
मानव अधिकारों के अतिक्रमण के संबंध में की गई शिकायतों की जांच कर सकता है तथा इस संबंध में संबंधित संस्था से रिपोर्ट भी प्राप्त करने का अधिकार है। आयोग पीड़ित व्यक्ति को तत्काल अंतरिम सहायता मंजूर करने के लिए सरकार से सिफारिश कर सकता है। उन्होंने बताया कि आयोग ने लखनऊ में बने अनाधिकृत स्पीड ब्रेकर को हटाने को लेकर संबंधित विभाग को निर्देश दिए थे, फिर भी अभी कहीं कोई ऐसा स्पीड ब्रेकर बना हो, तो इसको हटाने के लिए आयोग में शिकायत की जा सकती है।
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