लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सबसे बड़ा फायदा राजनीतिक स्थिरता
Date posted: 1 December 2018
लखनऊ 29 नवम्बर 2018, भारतीय जनता युवा मोर्चा अवध क्षेत्र द्वारा आज राजधानी लखनऊ युवा संसद का आयोजन किया गया। युवा संसद कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा उपस्थित थे। उन्होंने पंचायती राज भवन में युवा संसद के विषय एक राष्ट्र एक भारत पर युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत देश की संस्कृति और संस्कार किसी अन्य देश के युवा नहीं ले पाये क्यों कि जिस तरह भारत के नौजवानों ने देश की संस्कृति व संस्कार को स्वयं में आत्मसात किया है वह अद्भुत है। भारतीय जनता युवा मोर्चा इसका सबसे अच्छा उदाहरण है क्योंकि आज भारतीय राजनीति में भारतीय जनता युवा मोर्चा से निकले कई कार्यकर्ता देश व समाज को एक दिशा देने का काम कर रहे है। डा0 शर्मा ने कहा कि युवा ही परिवर्तन ला सकता है और युवा ही भविष्य में समाज की दिशा तय करता है।
उन्होंने कहा कि आज एक तरफ भारतीय जनता युवा मोर्चा के कर्मठ व संघर्षशील कार्यकर्ता तथा राष्ट्रवाद की बात करने वाले युवा है तो वहीं कुछ ऐसे भटके हुए नौजवान है जो भारत के टुकड़े करने की बात करते है। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के लिए 23 वर्ष की आयु में शहीद भगत सिंह जी व चन्द्रशेखर जी जैसे अनेकों क्रांतिकारी युवाओं ने अपनी जान दे दी आज उन्हीं को प्ररेणा मानकर देश के युवा व भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता राष्ट्रके निर्माण के लिए काम कर रहे है।
उन्होंने कहा कि देश के युवाओं ने 2014 व 2017 में योगी जी को लोने का काम किया। जिसमें प्रधानमंत्री जी ने देश में स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया समेत कई योजनाओें के माध्यम से युवाओं की क्षमता व योग्यता को भारत के निर्माण में लगाने का मौका उपलब्ध कराकर उनकी अपेक्षाओं में खरे उतरने का काम किया। उन्होंने कहा कि देश-प्रदेश का नौजवान देश निर्माण के लिए मोदी जी-योगी जी के साथ चल रहा है और 2019 में फिर से युवा भारत ने मोदी जी व योगी जी का भारत निर्माण के लिए लाने का मन बना लिया है। इसी का डर सपा-बसपा-कांग्रेस को है कि अगर देश का आम नौजवान अगर राजनीति में आ गया। तो परिवारवाद की राजनीति करने वालों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा।
दूसरे सत्र को प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘हम एक राष्ट्र-एक विचार के समर्थन में हैं। इससे हम पांच साल विकास पर ध्यान दे सकेंगे। पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार इस बात के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की कोशिश कर रही है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव हों। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह बात कह चुके हैं।
आजादी के बाद शुरुआती सालों में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। हालांकि, इसके लिए कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं थी। तकरीबन 15 साल तक विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ चले लेकिन बाद में यह चक्र गड़बड़ा गया। अब एक बार फिर से दोनों चुनाव एक साथ कराने की बात चल रही है तो इसके फायदों को समझना प्रासंगिक है। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे राजनीतिक स्थिरता आएगी। क्योंकि अगर किसी राज्य में कार्यकाल खत्म होने के पहले भी कोई सरकार गिर जाती है या फिर चुनाव के बाद किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता तो वहां आनन-फानन में नहीं बल्कि पहले से तय समय पर ही चुनाव होगा। इससे वहां राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी।
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