दलित-पिछड़ा विरोधी पार्टी है राजद और कांग्रेस: राजीव रंजन

पटना: राजद-कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व पिछड़े समाज के नेता राजीव रंजन ने कहा “ बिहार चुनाव को देखते हुए राजद-कांग्रेस के फाइव स्टारी नेता, एक बार फिर से बिहार के दलितों और पिछड़ों को भुलावा देने की जी-तोड़ कोशिशों में जुट चुके हैं. हर बार की तरह इस चुनावी मौसम में इन अवसरवादी दलों का दिखावटी दलित-पिछड़ा प्रेम फिर से जागने लगा है.

लोगों के मुताबिक जमीनी स्तर पर जाति के नाम पर लोगों को बांटने और भड़काने की इनकी कोशिशें एक बार फिर से शुरू हो चुकी हैं. बहरहाल यह दोनों दल जान लें कि दलित-पिछड़े समाज के सामने इनकी पोल काफी पहले से ही खुली हुई है. समाज को बांट कर कुर्सी पाने की इनकी कोई कोशिश जनता कभी कामयाब नहीं होने देगी.”

राजद-कांग्रेस को दलित-पिछड़ों का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा “ बिहार का दलित-पिछड़ा समाज राजद के कुशासन काल को भुला नही है. इन्होने हमेशा ही दलितों और पिछड़ों को छला और इस्तेमाल किया है. इनकी मंशा रही कि दलित और पिछड़े सदा इनके गुलाम बन कर रहे और हर चुनाव में इन्हें वोट करते रहें. इसके लिए इन्होने हमेशा पिछड़ी जातियों को आपस में लड़ाए रखा. इनके शासनकाल में होने वाली नक्सली हिंसा कौन भूल सकता है, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान दलितों-पिछड़ों को ही हुआ है. इनकी पीढियां हिंसा के कारण पढाई-लिखाई से वंचित रह गयी. आज एनडीए राज में जब हिंसा पर लगाम लगी और दलितों-पिछड़ों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास हो रहे हैं तो इनके सीने पर सांप लोट रहे हैं. लोग भूले नहीं है कि यह वही दल है लोगों को याद है कि कैसे इनके राज में दलितों और पिछड़ों के गाँव के गाँव उजाड़ दिए जाते थे.

यह वही लोग हैं जो पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त नही होने देना चाहते थे. भारत के पड़ोसी मुल्कों में दशकों से प्रताड़ित दलितों को भारत की नागरिकता देने की राह में तो यह अभी भी रोड़े अटकाना चाह रहे हैं. पिछड़े समाज से आने वाले प्रधानमन्त्री मोदी के खिलाफ इनकी अनाप-शनाप और अभद्र बयानबाजी को देखें तो साफ़ पता चलता है कि इनके मन में दलित-पिछड़ों के खिलाफ कैसा विष भरा हुआ है.”

श्री रंजन ने कहा “ चुनाव दर चुनाव मुंह की खाने के बावजूद राजद-कांग्रेस का भ्रम अभी तक टूटा नहीं है. उन्हें अभी भी लगता है कि बिहार के दलित-पिछड़े उनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर उनके खेमे में आकर खड़े हो जाएंगे. वह यह जान लें कि बिहार का दलित-पिछड़ा समाज जाग चुका है.” उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इस समाज से हमदर्दी है तो खुद आगे बढ़कर किसी दलित व अतिपिछड़े समाज के नेता को महागठबंधन का सीएम प्रत्याशी क्यों नहीं कर देते.”

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