चुनाव समाप्त होते ही राजद-कांग्रेस के युवराज हुए गायब: राजीव रंजन
Date posted: 18 June 2019

पटना: राजद-कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा “ यह भारतीय राजनीति की विडंबना है कि वंशवाद के कारण अब ऐसे लोग भी जनसेवा का दावा करते हैं जिनका जनता से कोई सरोकार नही है. लोकसभा चुनावों को खत्म हुए अभी एक महिना भी नही बीता है और राजद-कांग्रेस दोनों के युवराज गायब हो चुके हैं. इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि इनकी राजनीति सिर्फ चुनाव और किसी तरह से सत्ता प्राप्ति तक ही सीमित है और इनका तथाकथित सेवाभाव सिर्फ चुनावों में ही दिखता है. चुनाव खत्म होते ही न तो इन्हें जनता से मतलब रहता है और न उनकी परेशानियों से. दूसरी तरफ भाजपा के लिए जीत-हार एक अलग मसला है और जनता से सरोकार अलग बात है.
भाजपा जहां हर समय जनता की फ़िक्र में काम करती रहती है. दरअसल राजद-कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टियों की आड़ में पुरानी राजशाही चला रही है. इनकी एक ही नीति है कि राजा का बेटा ही राजा बनेगा. यही कारण है कि हर बार मेरिट और मेहनत को दरकिनार कर इन दलों की कमान राजाओं के परिवार के ही हाथ में जाती है. फाइव स्टार जिंदगी जीने के आदि इनके युवराजों को विरासत में फूट डालो और राज करो की नीति मिली है, इसीलिए इनके युवराज झूठ और दुष्प्रचार के सहारे इसी राह पर चल रहे हैं. बहरहाल जनता इनके खेल को समझ चुकी है, इसीलिए उन्होंने इन दलों का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है. यहाँ तक कि इनके खासमखास वोटबैंक माने जाने वाले लोग भी इनका साथ छोड़ चुके हैं. इनके युवराजों को हमारी सलाह है कि अब अगर इन्हें बिहार में राजनीति करनी है तो इन्हें नमो-नीतीश के रास्ते पर चलते हुए जनता के प्रति जवाबदेह होना ही होगा, नही तो इनकी राजनीति का भगवान ही मालिक है.”
श्री रंजन ने आगे कहा “ राजद-कांग्रेस दोनों की राजनीति आज केवल वंशवाद के कारण रसातल में जा रही है. दोनों दलों में सुयोग्य और जनता के लिए काम करने वाले अनुभवी नेता आज कोने में खड़े हैं और दल की कमान अनुभवहीन युवराजों के हाथों में है. बिना काम धंधे के अरबपति बने बैठे, दोनों के पास न तो कोई विजन है और न जनता के विकास के लिए कोई प्लान, लेकिन दोनों जल्द से जल्द कुर्सी पकड लेना चाहते हैं. जनता भी दोनों को समझती है, इसीलिए जनता ने दोनों को ही विपक्ष में बैठा रखा है.”
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