जेहादियों व टुकड़े-टुकड़े गैंग के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है आरएसएस: राजीव रंजन
Date posted: 21 July 2022
पटना: आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जेहादीयों व टुकड़े-टुकड़े गैंग के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व मीडिया विभाग के प्रभारी राजीव रंजन ने आज कहा कि जिस प्रकार भगवान का नाम लेने से भूत-पिशाच भयभीत हो जाते हैं उसी तरह आरएसएस के नाम मात्र से ही जेहादियों व देश के टुकड़े-टुकड़े करने का मंसूबा पाले लोगों के डर के मारे पसीने छूट जाते हैं. इन देशद्रोहियों को अच्छे पता है कि देश को तबाह का करने की उनकी कोशिशों के सामने आरएसएस चट्टान बन कर खड़ा है. वह जानते हैं आरएसएस के करोड़ों राष्ट्रवादी स्वयंसेवक उनके नापाक मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे, यही वजह है कि वह संघ को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं.
उन्होंने कहा कि आज जब चंद वोटों के लिए देश के कई राजनीतिक दल इन देशविरोधी तत्वों के तुष्टिकरण में जुटे हैं, उसी समय आरएसएस के लोग आम जनों में देशप्रेम की अलख जुटाने में लगे हुए हैं. देशविरोधी तत्व जानते हैं कि संघ के लोग निस्वार्थ भावना से काम करने वाले लोग हैं, जिन्हें न तो खरीदा जा सकता है और न ही डराया-धमकाया जा सकता है. इसीलिए वह मित्र राजनीतिक दलों की सहायता से लंबे समय से संघ के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं. लेकिन संघ के ख़िलाफ़ लगा हर आरोप आख़िर में पूरी तरह कपोल-कल्पना और झूठ साबित हुआ है. जनता अब उनका खेल समझ चुकी है इसीलिए बड़ी संख्या में लोग संघ के प्रति आकृष्ट होने लगे हैं.
श्री रंजन ने कहा कि यह आरएसएस ही है जिसने अक्टूबर 1947 से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बगैर किसी प्रशिक्षण के लगातार नज़र रखा. उसी समय, जब पाकिस्तानी सेना की टुकड़ियों ने कश्मीर की सीमा लांघने की कोशिश की, तो सैनिकों के साथ कई स्वयंसेवकों ने भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए लड़ाई में प्राण दिए थे. विभाजन के दंगे भड़कने पर, जब नेहरू सरकार पूरी तरह हैरान-परेशान थी, संघ ने पाकिस्तान से जान बचाकर आए शरणार्थियों के लिए 3000 से ज़्यादा राहत शिविर लगाए थे.
उन्होंने कहा कि इसी तरह 1962 के युद्ध में सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा. यही वजह रही कि नेहरू जी को 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा. 1965 के पाकिस्तान युद्ध के समय लालबहादुर शास्त्री जी ने क़ानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने में मदद देने और दिल्ली का यातायात नियंत्रण अपने हाथ में लेने का आग्रह किया, ताकि इन कार्यों से मुक्त किए गए पुलिसकर्मियों को सेना की मदद में लगाया जा सके. घायल जवानों के लिए सबसे पहले रक्तदान करने वाले भी संघ के स्वयंसेवक थे. युद्ध के दौरान कश्मीर की हवाईपट्टियों से बर्फ़ हटाने का काम संघ के स्वयंसेवकों ने किया था. इसी तरह चाहे वह गोवा की स्वाधीनता की बात हो या आपातकाल के संघर्ष का दौर, आरएसएस ने हर कालखंड में तन-मन से देश की सेवा की है. आज भी देश में कहीं को आपदा हो, आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले सहायता के लिए पहुंचते हैं.
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि देशविरोधी ताकतें और उनकी चापलूसी में लगे लोग यह जान लें कि आरएसएस को बदनाम करने की उनकी कोशिशें कभी सफल नहीं होने वाली. देश की जनता राष्ट्रवादियों और राष्ट्रद्रोहियों का अंतर भलीभांति जानती है.
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