पराली उन्मूलन हो या ई वाहन पंजीकरण सबमें दिल्ली सरकार गुमराह कर रही है: भाजपा
Date posted: 18 March 2021
नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा के प्रवक्ताओं हरीश खुराना एवं प्रवीण शंकर कपूर ने पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह सोच कर भी शर्मिंदगी होती है कि आज जब दिल्ली विश्व को सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है उस दिन दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार अपनी जिम्मेदारी को समझ प्रदूषण के विरूद्ध कार्य योजना लाने के लिये सत्ता संघर्ष में उलझी है। पत्रकार सम्मेलन में प्रवक्ता अजय सहरावत भी उपस्थित थे।
भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा है कि यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि दिल्ली सरकार ने फ्री बिजली-पानी के साथ ही जहरीले प्रदूषण के रूप में मौत भी फ्री बांटी है। हाल ही में सामने आये ग्रीन पीस एशिया के आंकड़े जिनके अनुसार गत वर्ष दिल्ली में 54000 मौतें प्रदूषण के कारण हुईं इसकी पुष्टि करते हैं। दिल्ली आज एक गैस चेम्बर बन चुकी है।
खुराना ने कहा कि आज जब दिल्ली सरकार को प्रदूषण से लड़ना चाहिए उस समय भी दिल्ली सरकार भ्रमात्मक झूठे प्रचार में लगी है। सरकार पोस्टर लगा कर यह बताने की कोशिश कर रही है कि 2021-22 के लिये उसने प्रदूषण पर 9394 करोड़ रूपये का आवंटन किया है, जबकि सत्य यह है कि 2021-22 के बजट में 9394 करोड़ रूपये सड़क, पुल एवं परिवहन के मद में आवंटित किये है।
खुराना ने कहा है कि केजरीवाल सरकार हर वर्ष अक्टूबर से दिसम्बर के बीच पराली को प्रदूषण का मुख्य कारण बताती है। आर.टी.आई. से मिली जानकारी अनुसार गत वर्ष 2020 में अंतिम पखवाड़े में केजरीवाल सरकार ने पराली के समाधान के रूप में एक बाऊडिकम्पोजर घोल के खेतों में डालने की योजना रखी पर इसमें भी काम की जगह घोटाला किया। केवल 310 किसानों के खेतों में जो बाऊडिकम्पोजर छिड़का गया उसकी कीमत मात्र 40 हजार रूपये थी, जिसके छिड़काव पर 23 लाख 10 हजार रूपये खर्च किये गये और प्रचार पर 17 करोड़ रुपये उड़ा दिये गये।
खुराना ने कहा कि इसी तरह ई वाहनों के पंजीकरण पर भी केजरीवाल सरकार के दावे पूरी तरह खोखले हैं। खुद दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि सितम्बर 2019 से फरवरी 2020 के बीच 14270 ई वाहनों का पंजीकरण हुआ था जबकि सरकार की छूट घोषणाओं के बावजूद सितम्बर 2020 से फरवरी 2021 के बीच ई वाहन पंजीकरण आंकड़ा है मात्र 7584 यानि लगभग आधा रह गया। सवाल यह उठता है कि जब आंकड़े घट रहे हैं तो सरकार भ्रमित किसे कर रही है।
प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि प्रदूषण जैसे गम्भीर विषय पर आम आदमी पार्टी प्रवक्ता कोई भी ठोस कार्य योजना लाने के, केन्द्र पर दोषारोपण की राजनीति में समय बर्बाद करते हैं।
प्रवीण शंकर ने कहा कि आज दिल्ली एक गैस चेम्बर में तब्दील होती जा रही पर दिल्ली सरकार के पास एक ठोस स्टेडी भी नहीं जिससे वैज्ञानिक रूप से प्रदूषण के मूल कारणों को बता सके। समझ से परे है कि केजरीवाल सरकार को प्रदूषण के विरूद्ध सघन अभियान छेड़ने से कौन रोक रहा है पर वास्तविकता यह है कि केजरीवाल सरकार ने 2019-20 एवं 2020-21 में प्रदूषण पर आवंटित बजट का भी पूरा उपयोग नहीं किया है और वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 में तो 60 प्रतिशत से अधिक पर्यावरण बजट लैप्स हो गया।
खुराना एवं श्री कपूर ने कहा कि गत दिनों आम आदमी पार्टी ने पत्रकार सम्मेलन कर केन्द्र सरकार पर दिल्ली कि बिगड़ती प्रदूषण स्थिति पर लापरवाही का आरोप लगाया पर दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि आखिर क्यों पर्यावरण बजट लैप्स हो रहा है और सरकार हर वर्ष आने वाले सैकड़ों करोड़ रूपए के वाहन पर्यावरण सैस का कहा उपयोग करती है।
भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि प्रदूषण के कारणों पर सरकार ईधर-उधर की बातें तो बहुत करती है पर एक प्रमुख कारण टूटी सड़कों एवं भवन निर्माण के कारण बढ़ते धूल, मिट्टी के कारण पर चुप रहती है।
भाजपा मांग करती है कि केजरीवाल सरकार अविलंब दिल्ली में प्रदूषण के कारणों के अध्ययन के लियें एक विशेषज्ञों की कमेटी बनाये जो पूरे साल के प्रदूषण के अलग अलग कारणों को समझे और समाधान सुझाये।
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