परंपरा की डोर से बंधे समाज और राष्ट्रवाद के अटूट बंधन से भारतीय संस्कृति को मिलता है मजबूत आधार
Date posted: 16 January 2019
नई दिल्ली, 15 जनवरी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले सवा सौ करोड़ के देश में विविध परंपराओं का पालन करने वाले भारतीय संस्कृति की छटा में रंग भरने का काम कर रहे है आज के दिन को अलग अलग तौर तरीके से मनाया जाता है लेकिन सभी की कामना सिर्फ एक है समाज की खुशहाली और समृद्धि। कोई मकर संक्रान्ति तो कोई पोंगल के रूप में मनाता है, तो उत्तराखंड के लोग मकरैणी-उत्तरैणी महोत्सव के रूप मनाते है। ये बातें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं उत्तर पू्र्व दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी ने अपने संबोधन में कहीं, वह घोंडा गुजरान खादर में उत्तराखंड प्रवासी संघ द्वारा आयोजित उत्तरैणी-मकरैणी महोत्सव में उपस्थित श्रद्धालुओ को संबोधित कर रहे थे।
श्री मनोज तिवारी ने कहा कि यूँ तो मकर संक्रान्ति या उत्तरायणी के अवसर पर नदियों के किनारे जहाँ-तहाँ मेले लगते हैं, लेकिन उत्तरांचल तीर्थ बागेश्वर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली उतरैणी की रौनक ही कुछ अलग है। उत्तराखंड में बागेश्वर की मान्यता तीर्थराज की है। भगवान शंकर की इस भूमि में सरयू और गोमती का भौतिक संगम होने के अतिरिक्त लुप्त सरस्वती का भी मानस मिलन है। नदियों की इस त्रिवेणी के कारण ही उत्तरांचलवासी, बागेश्वर को तीर्थराज प्रयाग के समकक्ष मानते आये हैं। बागेश्वर का कस्बा पुराने इतिहास और सुनहरे अतीत को संजोये हुए है। स्कन्द पुराण के मानस खण्ड में कूमचिल के विभिन्न स्थानों का विशद् वर्णन उपलब्ध होता है। बागेश्वर के गौरव का भी गुणगान किया गया है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार बागेश्वर शिव की लीला स्थली है। इसकी स्थापना भगवान शिव के गण चंडीस ने महादेव की इच्छानुसार दूसरी काशी के रुप में की और बाद में शंकर-पार्वती ने अपना निवास बनाया। शिव की उपस्थिति में आकाश में स्वयंभू लिंग भी उत्पन्न हुआ जिसकी ऋषियों ने बागेश्वर रुप में अराधना की।
स्कन्दपुराण के ही अनुसार मार्कण्डेय ऋषि यहाँ तपस्यारत थे। ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जब देवलोक से विष्णु की मानसपुत्री सरयू को लेकर आये तो सार्कण्डेय ऋषि के कारण सरयू को आगे बढ़ने से रुकना पड़ा। ऋषि की तपस्या भी भंग न हो और सरयू को भी मार्ग मिल जाये, इस आशय से पार्वती ने गाय और शिव ने व्याघ्र का रुप धारण किया और तपस्यारत ऋषि से सरयू को मार्ग दिलाया। कालान्तर व्याघ्रेश्वर ही बागेश्वर बन गया।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मोहन सिह बिष्ट, पूर्वांचल मोर्चा अध्यक्ष श्री मनीष सिंह, पर्वतीय प्रकोष्ठ के संयोजक अर्जुन सिह राणा, पूर्वी दिल्ली नगर निगम की शिक्षा समिति के चेयरमैन राजकुमार बल्लन, मीडिया विभाग के प्रदेश सह प्रमुख आनंद त्रिवेदी, उत्तराखण्ड प्रवासी महासंघ के अध्यक्ष श्री श्याम सिंह, चै. महक सिंह, मंडल अध्यक्ष नरेंद्र वेलवाल, भाजपा नेता नित्यानंद गैरोला, जसवंत रावत सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
Facebook Comments