सुषमा जी ने भारत को विश्वपटल पर एक नई पहचान दिलाई: आदेश गुप्ता

नई दिल्ली:  सौम्यता और सादगी की प्रतिमूर्ति, ओजस्वी वक्ता व पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी की पुण्यतिथि पर आर के पुरम व ग्रेटर कैलाश में आयोजित स्मृति सभा को में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। स्मृति सभा के पश्चात आदेश गुप्ता ने पौधारोपण किया और जरूरतमंद लोगों के बीच भोजन और राशन किट का वितरण किया। आर के पुरम में कार्यक्रम का आयोजन स्टैंडिंग कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने किया था। ग्रेटर कैलाश में कार्यक्रम का आयोजन स्थाई समिति एसडीएमसी की पूर्व अध्यक्ष शिखा राय ने किया था।

इस अवसर पर स्टैंडिंग कमेटी की डिप्टी चेयरमैन तुलसी जोशी, पूर्व पार्षद अनीता गुप्ता, मनीष अग्रवाल, भगत सिंह टोकस, प्रदेश कोषाध्यक्ष विष्णु मित्तल, अधिवक्ता संकेत गुप्ता, रजत तनेजा सहित जिला एवं मंडल के पदाधिकारी उपस्थित थे।

नम आंखों से स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी को याद करते हैं आदेश गुप्ता ने कहा कि सुषमा जी विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की नेत्रियों में एक अलग स्थान रखती थीं। सुषमा जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से भारत को विश्वपटल पर एक नई पहचान दिलाई। सुषमा जी हमेशा प्रेरणा पुंज रहेंगी, ऐसी महान आत्मा को शत्-शत् नमन। उन्होंने कहा कि सुषमा जी हर साल अपने जन्मदिन को आर के पुरम में मनाने आती थी इस बात से यह जाहिर होता है कि इतने बड़े पद पर आसीन होने के बाद भी जमीन से जुड़ी हुई थी।

उन्होंने कहा कि सुषमा जी को आज भी लोग एक ऐसे नेता के रूप में याद करते हैं जिसने केंद्रीय विदेश मंत्री रहते हुए न जाने कितने जरूरतमंदों की मदद की थी। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा जी को जब विदेशों में रहने वाले भारतीय किसी भी समस्या के लिए ट्वीट करते थे तो सुषमा

अति शीघ्र ही उस पर कार्रवाई करती थी। यहां तक की जरूरत पड़ने पर उनके कार्यकाल के दौरान विदेश राज्यमंत्री रहे जनरल वीके सिंह को भेजकर दूसरे देश में फंसे भारतीय भाई-बहनों को वापस लाने का काम किया।

श्री गुप्ता ने कहा श्रद्धेय अटल जी के बाद अगर किसी को सुनने के लिए व्याकुलता होती थी तो वह सुषमा जी थीं। हिंदी भाषा पर उनकी पकड़, उनकी शब्दावली बहुत मजबूत थी और जब वह भाषण देती थी तो उसमें मधुरता और सौम्यता की झलक होती थी। सुषमा जी की छवि ईमानदार, मुखर और मजबूत नेता की थी। उनकी भाषण शैली का केवल पक्ष ही नहीं, विपक्ष भी मुरीद था। आज की पीढ़ी के नेताओं को उनकी भाषण शैली, उनके शब्दों की चयनता से काफी कुछ सीखने को मिलता है। सुषमा जी भले ही कितने बड़े पद पर रही हों लेकिन एक भारतीय महिला होने के नाते करवा चैथ के व्रत और त्योहार को बहुत ही पारंपरिक तौर पर मनाती थीं। उन्होंने कहा कि सुषमा जी आदर्श व्यक्तित्व की धनी थीं और मुझे भी कई बार उनका सानिध्य मिला। आज सुषमा जी हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके किए गए कार्य, उनकी यादें, उनकी प्रेरणा सदैव हमारे साथ है।

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