एक दूसरे की लोकप्रियता से डरते हैं तेजप्रताप और तेजस्वी : राजीव रंजन

पटना: राजद में मचे अंतर्कलह पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने इतिहास गवाह है कि वंशवादी व्यवस्था में सत्ता के लिए आपस में सिरफुटौव्वल होता ही है। तेजप्रताप और तेजस्वी में छिड़े युद्ध का कारण भी यही है। भले ही दोनों भाई आपसी मतभेद की बातों को ऊपर ही ऊपर नकारते हैं लेकिन वास्तविकता यही है दोनों ही एक दूसरे की लोकप्रियता से जलते और डरते हैं।
उन्होंने कहा कि लालू की कृपा से तेजस्वी को जहां बैठे बिठाए युवराज का दर्जा मिल गया उससे राजद के आम कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं है। तेजस्वी के साथ भले ही प्रदेश के नेता खड़े दिखते हों, लेकिन आम राजद कार्यकर्ताओं को तेजप्रताप में लालू जी का अक्स दिखता है। इसके अतिरिक्त तेजस्वी के अहंकार और उनके सलाहकारों की तानाशाही से आजिज कार्यकर्ता भी तेजप्रताप के पीछे खड़े हैं। इसी वजह से तेजस्वी में यह डर समा गया है कि कहीं तेजप्रताप उनसे राजद की गद्दी हथिया न लें। इसी वजह से दोनों भाइयों में वार-पलटवार चल रहा है, जिसके शिकार अन्य नेता हो रहे हैं।

श्री रंजन ने कहा कि तेजस्वी के कारण ही आज तेजप्रताप को राजद में न तो उनकी वाजिब राजनीतिक हिस्सेदारी मिल रही है और न ही उन्हें पार्टी में बड़े नेताओं का सम्मान मिल पा रहा है। खबरों की माने तो जहां तेजस्वी के आने पर राजद कार्यालय में उनका शाही स्वागत होता है वहीं तेजप्रताप को कई बार अपना दफ्तर खुलवाने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। लोग बताते हैं कि यह सारा खेल तेजस्वी और उनके सलाहकारों की शह किया जाता है। उनके इस आचरण से ऐसा प्रतीत होता है कि तेजस्वी चाहते हैं कि तेजप्रताप खुद ऊब कर पार्टी छोड़ दें जिससे उन्हें अकेले राज भोगने में कोई दिक्कत न हो।

उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों के इस युद्ध में सबसे अधिक फजीहत जगदानंद सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं की हो रही है। उम्र भर की मेहनत से उनकी अर्जित प्रतिष्ठा फुटबॉल बन कर रह गयी है, जिसे दोनों भाई जब चाहे उछालते रहते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि प्रतिष्ठा का कोई मोल नहीं होता। अगर वक्त रहते यह लोग नहीं चेते तो उनकी आज तक की मेहनत पर पानी फिरना तय है।

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