हमला हरिवंश पर नहीं बिहार की गरिमा और सम्मान पर हुआ है: जयसवाल
Date posted: 22 September 2020
राज्यसभा में कुछ विपक्षी सांसदों ने किसान संबंधी विधेयकों के विरोध के नाम पर जो किया है, वह सदन की गरिमा को धूसरित करने वाला और बेहद शर्मनाक है। आज हरिवंश ने उपराष्ट्रपति महोदय को जो चिट्ठी लिखी है, वह राजनीति शास्त्र और पत्रकारिता के अध्येताओं के साथ सभी देशवासियों को पढ़ना चाहिए। उस पत्र में गांधी और जेपी की आत्मा है, लोहिया की खुशबू है और दीनदयाल जी के आदर्शों की महक है।
वह चिट्ठी बताती है कि सिताब दियारा की माटी कैसे बेटों को जनती है, वह पत्र सबूत है कि सत्याग्रह किसे कहते हैं और उसका आखर-आखर ज्वलंत दस्तावेज है कि लोकतंत्र की पवित्रता और गरिमा क्या होती है?
वाल्तेयर ने कहा था कि तुम मेरा विरोध करो और मैं तुम्हारे विरोध करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी जान लड़ा दूंगा। हरिवंश जी इससे भी एक कदम आगे निकल गए। जिन विपक्षी सांसदों ने उन पर हमला किया, उन्हीं को वह सुबह चाय पिलाने जाते हैं, उन्हें सजा देने की जगह खुद उपवास करते हैं। यह सदी की सबसे खूबसूरत तस्वीर है। यह भारत में ही संभव है।
हमला हरिवंश बाबू पर ही नहीं हुआ है, वह बिहार की गरिमा और सम्मान पर भी हुआ है, वह पत्रकारिता की स्वर्णिम पृष्ठभूमि पर भी हुआ है, एक सम्माननीय व्यक्तित्व पर भी हुआ है। इन सांसदों ने उपसभापति पर नहीं, लोकतंत्र पर हमला किया है। ये न तो कानून मानेंगे, न ही नियमों का पालन करेंगे, ये माइक तोड़ते हैं, मार्शल के ऊपर हमला करते हैं और उसके बाद दुहाई डेमोक्रेसी की देते हैं। यह शर्मनाक है, यह दोहरा आचरण है।
हरिवंश जी के व्यक्तित्व और उनके लंबे सार्वजनिक जीवन के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है कि वे बड़े विद्वान और संपादक हैं। उन्होंने न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी भारत की पताका फहरायी है। ऐसे विद्वान, ऐसे महान व्यक्तित्व के साथ जिस तरह की घटना टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन और आप के सांसद संजय सिंह ने की, वह बेहद गलत, शर्मनाक और हतप्रभ करनेवाला है।
TMC के सांसद डेरेक ओ ब्रायन अपनी बदतमीजी और अहंकार का परिचय सोशल मीडिया पर तो देते ही रहे हैं, लेकिन परसों उन्होंने जो किया है, वह सदन की मर्यादा को तार-तार करने वाला है। उनके साथ संजय सिंह और बाकी जो छह सांसद निलंबित हुए हैं, उनको आरजेडी और कांग्रेस जिस तरह से बढ़ावा दे रही है, वह भी बेहद निंदनीय है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आरजेडी भी बिहार की अस्मिता पर लगी इस चोट पर चुप्पी साधे इसकी भागीदार बनी हुई है.
जैसा कि हम सब जानते हैं हरिवंश जी एक उदार ह्रदय व्यक्ति हैं इसलिए उनका बडप्पन देखिए कि जिन सांसदों ने उनके साथ अभद्रता की, आज उन्हीं के लिए वह अपने घर से चाय लेकर गए और उनको पिलायी। चोरी और सीनाजोरी की मिसाल दे रहे ये सांसद उन्हीं हरिवंश जी के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, जिनके ऊपर इन्होंने हमला किया था औऱ अगर मार्शल नहीं आते तो न जाने क्या हो जाता?
यह लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत तस्वीर है और इससे भी सुंदर बात तो यह है कि हरिवंश जी खुद एक दिन का उपवास रखेंगे। वह बिहार के हैं और बिहार ने दुनिया को लोकतंत्र दिया था। आज हरिवंश उसी लोकतंत्र को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यदि विपक्षी सांसदों में तनिक भी शर्म बची होगी तो वह हरिवंश जी से माफी मांगेंगे और अपनी सदस्यता से इस्तीफा भी देंगे।
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